क्रीपिंग फ़्लॉक्स फूल एक मायने रखने वाला सुंदर पौधा है जो उपन्यासी रंगों में खिलता है। यह एक छोटा, खुदरा और छूटदार पौधा है, जो लगभग 6 इंच ऊँचा हो सकता है। इसके मुख्य खूबसूरतताओं में से एक उसकी मल्टी-पेटल फूलों की विविधता है, जिन्हें गहरे पिंक, लाल, नीले, फिरंगी, सूखी ग्लेशियर और व्हाइट में पाया जा सकता है। इसकी खुशबू भी उत्कृष्ट होती है और इसे सुंदर महन्द फूलों की भणिता कहा जाता है।
क्रीपिंग फ़्लॉक्स मूल रूप से दक्षिण अमेरिका में पाए जाते हैं, लेकिन यह अब पूरे विश्व में पाया जाता है। इसे यकृषि, उद्यानवालों और मालकानिधियों द्वारा उपयोग में लिया जाता है क्योंकि यह उनके बगीचे को रंगीन और सुंदर बनाता है। इसकी व्यापक पहचान उसकी मजबूत व मोटी छाल से हो सकती है, जो इसे थर्मल और पूध के लिए विशिष्ट बनाता है। क्रीपिंग फ़्लॉक्स जमीन को विभिन्न तत्वों से भरकर विकसित होता है, जिससे यह बटन व गुच्छों में उभरता है।
इस पौधे की प्रमुख विशेषता उसकी खूबसूरत पेशेवरता है, जो उसे अन्य पौधों से अलग बनाती है। इसकी सुंदरता को इमारती बगीचों में पेश किया जाता है, जहां इसे बराबरी में दिखने के लिए वृक्ष और फूलों के द्वारा मिश्रित किया जाता है। इस पौधे को आवक्षित या खूबसूरत लगाने के लिए वृक्षों के रूप में प्रयोग किया जाता है, जिससे यह एक व्यक्तिगत स्थान की भाँति प्रतिष्ठित होता है। इसकी छोटी ऊंचाई जैसी कुछ वृक्ष-पौधों की विशेषता भी होती है, जो इसे भूमि से नीचे पीछे मुड़ती है और इसे बंद करने में मदद करती है।
इन सब बातों का मिलान करके, क्रीपिंग फ़्लॉक्स एक अद्भुत फूल है जो अपने रंगीन फूलों और आकर्षक संरचना से प्रमुखता रखता है। इसका प्रयोग बगीचों में उपार्जन या सजावटी फूल के रूप में हो सकता है, जो हमारे पर्यावरण की सुंदरता को बढ़ाने और सामूहिकता को बढ़ाने में मदद करता है। इसकी सुंदरता, खुशबू और प्रवासी विशेषताओं के कारण, यह एक पुराने भ्रमणीक अद्भुत फूल है जो हमें अपनी प्राकृतिक खिलावट को दिखा सकता है।
Contents
- क्रीपिंग फ़्लॉक्स क्या है? (What Is Creeping Phlox?)
- क्रीपिंग फ़्लॉक्स का इतिहास (History Of Creeping Phlox )
- क्रीपिंग फ़्लॉक्स की प्रकार (Types Of Creeping Phlox)
- अन्य भाषाओं में क्रीपिंग फ़्लॉक्स के नाम (Creeping Phlox Names In Other Languages)
- क्रीपिंग फ़्लॉक्स के उपयोग (Uses Of Creeping Phlox)
- क्रीपिंग फ़्लॉक्स के फायदे (Benefits Of Creeping Phlox)
- क्रीपिंग फ़्लॉक्स के नुकसान (Side effects Of Creeping Phlox)
- क्रीपिंग फ़्लॉक्स का पौधे की देखभाल कैसे करें (How To Take Care Of Creeping Phlox Plant)
- क्रीपिंग फ़्लॉक्स के पौधे का सांस्कृतिक उपयोग (Cultural Uses Of The Creeping Phlox)
- क्रीपिंग फ़्लॉक्स का पौधा कहां पाया जाता है (Where Is The Creeping Phlox Plant Found)
- क्रीपिंग फ़्लॉक्स की प्रमुख उत्पादन राज्य (Major Producing State Of Creeping Phlox)
- क्रीपिंग फ़्लॉक्स के पौधे के चिकित्सा गुण (Medical Properties Of Creeping Phlox)
- क्रीपिंग फ़्लॉक्स का वैज्ञानिक नाम (Scientific Name Of Creeping Phlox)
- क्रीपिंग फ़्लॉक्स की खेती (Creeping Phlox Cultivation)
- क्रीपिंग फ़्लॉक्स की खेती (Farming of Creeping Phlox)
- क्रीपिंग फ़्लॉक्स/Creeping Phlox FAQs
क्रीपिंग फ़्लॉक्स क्या है? (What Is Creeping Phlox?)
क्रीपिंग फ़्लॉक्स एक सुंदर पौधा है जो औषधीय और आकर्षक फूलों के लिए जाना जाता है। यह पौधा अन्यत्र मसाचुसेट्स, मेन, वर्माउंट, कनाडा और अदिरोंडैक सरोवर के ठिकानों में फ़्लॉक्स बादल फूल के नाम से भी जाना जाता है। यह पंजाब के पास, पहाड़ों परिसर में कुछ बनवासी भी है, मगर यह पौधा विश्व में पूरी तरह से फैला हुआ है।
यह पौधा कारपेट सुखाने वाला, हरा और लवंडर रंग के तरलता से लदा हुआ, छोटे और पूर्ण आकार में शानदार फूलों से भरा होता है। इन फूलों का व्यापारिक नाम ‘एम्पलीन’ होता है और इसके बिना तल-पत्र फूलों की अद्भुत प्रदर्शनी के कारण सजीव पेचाण होने के कारण क्रीपिंग फ़्लॉक्स को एक इमारती पौधा के रूप में चुना जाता है।
यह पौधा आधिकारिक रूप से मरस और फैसोलियेस जाति की है लेकिन यदि हम इस पौधे को नकदी में बांट दें, तो मरस के बहुवचन “मरसेज” हैं और फैसोलियेस के बहुवचन “फैसोलिएसे” हैं। क्रीपिंग फ़्लॉक्स को रोचट पाव्तेडे दिवाला के प्रयासों के कारण अंडामान और निकोबार द्वीप समूह के मध्य ईंटों की ढेर से बचाने के लिए 1960 के दशक में अंदमान द्वीप पर पनपाया था। आजकल यह मुख्य रूप से कनाडा में पाया जाता है और यहां के लोग इसे एक लभदायक पौधे के रूप में इस्तेमाल करते हैं जो उच्च शांति के समयों का प्रतीक है।
क्रीपिंग फ़्लॉक्स का इतिहास (History Of Creeping Phlox )
क्रीपिंग फ़्लॉक्स वनस्पति का नाम सुनते ही, यह सदाबहार पौधा और उसकी मांदार खुशबू याद आती है। इसे अंग्रेजी में ‘Creeping Phlox’ कहा जाता है, जो उसकी प्रकृति को दर्शाता है। यह पौधा जिसमे ‘Creeping’ शब्द शामिल है, वास्तविक रूप से धीरे-धीरे फैलता है और एक सामूहिक सजावटी ढंग में उगता है। यह क्रीपिंग फ़्लॉक्स को अच्छे से बगीचे की नीलमी पर चढ़ाया जा सकता है, जहाँ यह खासतौर पर पखावज अच्छी लगती है।
क्रीपिंग फ़्लॉक्स उच्चीयों को धावन करने का काम करता है, जिसके कारण इसे “नकद” पौधा भी कहा जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम ‘Phlox subulata’ है, जिसमें “subulata” शब्द का अर्थ होता है “सूई जैसा”। इसके पत्तेदार और लहलहाते फूल वाले पौधे होते हैं, जो अपने आकर्षक रंग और सजावटी ढंग से मशहूर हैं। इन फूलों की मात्रा और प्रकाश संबंधी आवश्यकताओं के आधार पर, इनकी विविध रंगों में से चुनाव किया जा सकता है।
क्रीपिंग फ़्लॉक्स का मुख्यालय उत्तरी अमेरिका माना जाता है, हालांकि यह आजकल पूरी दुनिया में पाया जा सकता है। यह नरम मिट्टी और अच्छे जल निकास के साथ अच्छी तरह विकसित होता है। इसकी इकट्ठा में फैलाव की वजह से, इसे जमीन को पोषण में अच्छा काम करने वाला माना जाता है। इस पौधे की देखभाल आसान होती है और यह प्राकृतिक रूप से ईंधनत फ्लॉरा की एक हिस्सा बन सकती है।
क्रीपिंग फ़्लॉक्स अपने स्वादिष्ट फूलों के लिए चयनित हो सकते हैं और बर्फीले वनस्पति-पेशियों का नामकरण करने के लिए धन्यवादी होते हैं। विभिन्न वनस्पति-पेशियों के साथ संयोजन करके, इसका साम्राज्य और भी बढ़ा सकता है और एक नवीन और आश्चर्यजनक पनप बना सकता है।
अतः क्रीपिंग फ़्लॉक्स वनस्पति एक रोमांचक वनस्पति है, जो अपने आकर्षक फूलों और समृद्ध इतिहास के साथ प्रसिद्ध है। इसकी देखभाल आसान होती है और इसे किसी भी बगीचे को समृद्ध और आकर्षक बना सकती है। यदि हम अपने पेशेवर विचारों और रेसर्च करने की क्षमता का उपयोग करके क्रीपिंग फ़्लॉक्स के नवीन पहलुओं की खोज करें, तो हम इस प्रकृति की सुंदरता और मजबूती से प्रभावित हो सकते हैं।
क्रीपिंग फ़्लॉक्स की प्रकार (Types Of Creeping Phlox)
क्रीपिंग फ़्लॉक्स बगीचे में उगाई जाने वाली एक फूलदार पौधी होती है। ये पौधा मुख्यतः बगीचे की चट्टानों और वाटिका पर फिलहाल बहुत प्रसिद्ध है। यहां मैं कुछ प्रमुख प्रकारों के बारे में बता रहा हूँ जो आसान हिंदी भाषा में 6वीं कक्षा के छात्रों को समझने में सहायक होगा।
1. नीलाम्बरी (Blue Cushion): यह प्रकार क्रीपिंग फ़्लॉक्स का बहुत प्रसिद्ध प्रकार है। इसकी पत्तियाँ हरे रंग की होती हैं और फूल बहुत सुंदर नीली रंगत के होते हैं। यह पौधा आकर्षक फूलों के साथ बगीचे में एक अद्वितीय रंग विचित्रता प्रदान करता है।
2. चेडविक (Scarlet Flame): चेडविक नामक प्रकार में क्रीपिंग फ़्लॉक्स के फूल लाल रंग के होते हैं। इसकी बंवरें और फूल अद्भुतता से भरे होते हैं और इसे बगीचे में उच्च एवं मध्यम वर्ग में ज्यादा उगाया जाता है।
3. स्कार्लेट (Scarlet Beauty): यह भी विशेष रूप से प्रसिद्ध प्रकार है जिसमें फलों की ऊँचाई कम होती है और यह वेगतानुसार एक अच्छी प्रकृति वाले इलाकों में अच्छे से उगाया जा सकता है।
4. स्तार (Star): इस प्रकार में क्रीपिंग फ़्लॉक्स के फूल छोटे, गुलाबी और ताराकार होते हैं। इसकी पत्तियाँ भी धारण करने में कूल होती हैं और वृद्धिशाली ढंग से फैलती हैं।
5. समर (Summer): यह प्रकार रंग-बिरंगे फूलों के साथ बगीचे में प्रदर्शित होता है। इसकी ग्लाइडरन, जून और वर्डन के नाम से भी पहचानी जाती है।
ये प्रमुख प्रकार हैं जिन्हें समझने में सरल हिंदी भाषा का उपयोग किया गया है। इन प्रकारों की संख्या और विवरण बढ़ा सकते हैं व आधार आपके पाठ्यक्रम या रुचि के आधार पर विवेचित किया जा सकता है।
अन्य भाषाओं में क्रीपिंग फ़्लॉक्स के नाम (Creeping Phlox Names In Other Languages)
क्रीपिंग फ़्लॉक्स एक सुंदर और छायादार स्थल पर अच्छी तरह उगने वाला पौधा है। इसे विभिन्न भाषाओं में विभिन्न नामों से जाना जाता है, लेकिन अधिकांश भाषाओं में इसका अंग्रेजी नाम ही प्रयोग होता है। फिर भी, अगर हम विभिन्न भारतीय भाषाओं में इसे कैसे पुकारते हैं, उस पर नज़र डालें:
- संस्कृत: क्रीपिंग फ़्लॉक्स
- बंगाली: क्रीपिंग फ़्लॉक्स
- मराठी: क्रीपिंग फ़्लॉक्स
- गुजराती: क्रीपिंग फ़्लॉक्स
- पंजाबी: क्रीपिंग फ़्लॉक्स
- तेलुगु: क्रीपिंग फ़्लॉक्स
- तमिल: क्रीपिंग फ़्लॉक्स
- कन्नड़: क्रीपिंग फ़्लॉक्स
- मलयालम: क्रीपिंग फ़्लॉक्स
- उड़िया: क्रीपिंग फ़्लॉक्स
जैसा कि आप देख सकते हैं, अधिकांश भाषाओं में “क्रीपिंग फ़्लॉक्स” का नाम उसके अंग्रेजी नाम के समान ही रहता है।
क्रीपिंग फ़्लॉक्स के उपयोग (Uses Of Creeping Phlox)
क्रीपिंग फ़्लॉक्स एक छोटा पौधा है जो विभिन्न उचाईयों पर फैल सकता है। यह पौधा मुख्य रूप से खूबसूरत फूलों के लिए प्रसिद्ध होता है। यह प्रदर्शनी बागों, छतों, ऊँची छज्जों, पेड़ों के आसपास और चट्टानों के ऊपर छिपने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
क्रीपिंग फ़्लॉक्स का उपयोग निम्नलिखित कारणों के लिए किया जाता है:
1. सजावटी रंगीन फूल: क्रीपिंग फ़्लॉक्स के फूलों की वजह से यह एक प्रिय पौधा है। इसके फूल विभिन्न रंगों में आते हैं जैसे कि गुलाबी, नीला, सफ़ेद, लाल, पीला आदि।
2. चट्टानों और ईंधन पर छिपाना: इसके फैलने की क्षमता के कारण, क्रीपिंग फ़्लॉक्स चट्टानों और ईंधन पर छिपने या छापे जाने के लिए उपयोगी होता है। इससे आपके उद्यान और बाग में फ्लॉकस का प्रदर्शन बढ़ा सकता है।
3. भूमि को बाधाओं से रोकना: क्रीपिंग फ़्लॉक्स एक संघाती पौधा होता है जो भूमि को ठण्डक देकर उसे बाधाओं से बचाता है। इससे भूमि का प्रदूषण कम होता है और मृदा को स्थिर भी बनाये रखता है।
4. टरेस और पेड़ों की जड़ों को संभालना: क्रीपिंग फ़्लॉक्स का उपयोग टरेस या पेड़ों की जड़ों को संभालने के लिए भी किया जाता है। इसकी वजह से टरेस और पेड़ की जड़ें मजबूत बनती हैं और उन्हें अच्छी रक्षा मिलती है।
5. भूकंप और जलप्रलय से सुरक्षा: इस पौधे के घने फूल क्षेत्र तथा फ़ूलों के बाहरी गंठों के कारण क्रीपिंग फ़्लॉक्स जलप्रलय, भूकंप या भूस्खलन जैसी आपदाओं से बचाने में मदद कर सकता है।
इन सभी कारणों से क्रीपिंग फ़्लॉक्स विभिन्न उद्यानों और सजावटी क्षेत्रों में उपयोगी साबित होता है।
क्रीपिंग फ़्लॉक्स के फायदे (Benefits Of Creeping Phlox)
क्रीपिंग फ़्लॉक्स (Creeping Phlox) एक छोटा पौधा है जो आमतौर पर मध्य वानस्पतिक पथरीय भूमि में पाया जाता है। यह भारतीय उपमहाद्वीप में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है और यह बगीचों, बागों और पारिजातिक क्षेत्रों में भी आमतौर पर उपयोग किया जाता है। क्रीपिंग फ़्लॉक्स के निम्नलिखित लाभ और फायदे हैं:
1. सुंदरता की विविधता: क्रीपिंग फ़्लॉक्स एक आकर्षक, सुंदर पौधा है जो जहां भी बोया जाता है, वहां एक आभूषण की तरह अपना काम करता है। इसके पत्ते मोटे और चमकदार होते हैं और फूल जीरो विस्तार वाले, विविध रंगों में मिलते हैं, जो एक बगीचे को नई और आकर्षक दिखाने में मदद करते हैं।
2. माटी को सुरक्षित करें: क्रीपिंग फ़्लॉक्स पौधे का योगदान मिट्टी की सुरक्षा करने में महत्वपूर्ण होता है। इसके बहुत सारे बालों के बजाए जो मोटी जड़ों की तरह फैल जाते हैं, यह भूमि घुसाने का प्रयास करता है और मुख्य टॉपसॉइल को बरकरार रखता है। इसके फैलते और गहन जड़ों के कारण, जैविक सामग्री की धारा बनी रहती है और विषाणु मिट्टी की कई प्रकार की संरचनाओं को नष्ट करने से बचाता है।
3. मौसम की सुरक्षा: क्रीपिंग फ़्लॉक्स, नि: शून्य धाराओं से माटी की सुरक्षा करके उन्हें वार्षिक वर्षा, बर्फबारी, और एक्रोज या टेरेस के ढलानों के नीचे पाने में मदद करती है। इसके गहन जड़ें और छोटी पत्तियाँ, विषाणु मिट्टी को बाधाओं से बचाती हैं और रूखेदार वाली धाराओं की बुनियाद को मजबूत बनाती हैं।
4. फ़ासला कटाई और सीमापाटी की गहराई: क्रीपिंग फ़्लॉक्स बागवानी में फ़ासला कटाई और सीमापाटी की गहराई को बेहतर बनाने में मदद करता है। इसके पत्तों और गहन बालों के कारण, इसे छोटी दीवारों और बागों के किनारों के रूप में यूज किया जा सकता है, जिससे उचित प्रबंधन और सीमापाटी का आसानी से संभावना होती है।
5. जीवन के प्राकृतिक आवास: क्रीपिंग फ़्लॉक्स के गहन मोटे पौधे और विशेषतः पुराने वृक्षों के निचले हिस्सों पर डंडे बना सकते हैं और उन्हें प्राकृतिक वातावरण के आवास के रूप में प्रदान करने में मदद करते हैं। यह पौधा पर्यावरणीय स्थायित्व को बढ़ाता है और पुराने पेड़-पौधों की स्थापना में मदद करता है।
क्रीपिंग फ़्लॉक्स के नुकसान (Side effects Of Creeping Phlox)
क्रीपिंग फ़्लॉक्स एक छोटा सा पौधा है जो बाग़ और उद्यान में बहुत सुंदरता और रंगबिरंगी झाड़ियों की पेशकश करता है। यह व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त और प्रस्तावना मुफ़ी नये सामरिक फूलों की वजह से भी पहचाना जाता है। इसके इस्तेमाल से सजावटी ऐशबाग बनाने में मदद मिलती है और इसकी सुंदरता नैचुरल लंडस्केप को भी निखारती है।
क्रीपिंग फ़्लॉक्स के इस्तेमाल के साथ कुछ दिक्कतें भी उत्पन्न हो सकती हैं जिनके बारे में जानना महत्वपूर्ण है। यहां कुछ मुख्य दिक्कतें हैं जिनका में निम्न बंदान में उल्लेख कर रहा हूँ:
1. त्वचा एलर्जी: कुछ लोगों को क्रीपिंग फ़्लॉक्स के और यह पौधा छूने से त्वचा एलर्जी की समस्या हो सकती है। इसके कारण त्वचा में खुजली, लालचापी, या धुलाई के बाद त्वचा में लाल दाग प्रकट हो सकते हैं।
2. श्वसन संबंधी समस्याएं: कुछ लोगों को क्रीपिंग फ़्लॉक्स के धूल से श्वसन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, जैसे की छींक, नकसीर में खुजली, गले में खराश, और सांस लेने में दिक्कत।
3. संक्रमण: क्रीपिंग फ़्लॉक्स के प्रयोग करते समय एक्स्टरियर और इंटीरियर उद्यानों में संक्रमण होने की संभावना बनी रहती है। इसलिए, इसे सावधानीपूर्वक साफ़ पानी से धोना चाहिए और मंद गर्मी के मौसम में इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए।
4. पाचन संबंधी समस्याएं: क्रीपिंग फ़्लॉक्स के सेवन से कुछ लोगों को पाचन संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे कि दस्त, उल्टी, या पेट में दर्द। इसलिए, इसे अधिक मात्रा में नहीं खाना चाहिए और मेडिकल परामर्श से पूर्व ही इसका सेवन करना चाहिए।
यदि आपको इन दिक्कतों के अलावा अन्य किसी तरह की समस्या हो तो आपको तत्परता से चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।
क्रीपिंग फ़्लॉक्स का पौधे की देखभाल कैसे करें (How To Take Care Of Creeping Phlox Plant)
क्रीपिंग फ़्लॉक्स, जिसे अंग्रेजी में Creeping Phlox कहा जाता है, एक सुंदर उद्भिद है जो गहरे रंगों में फूलों के साथ पूरे मौसम में महकता रहता है। यह आमतौर पर बेडिंग प्लांट्स, बॉर्डर्स, और पत्थरों के बीच भूमि को सजाने के लिए बहुत प्रयोग होता है। यह उद्यानों और घाटीदार इलाकों को एक मधुर और आकर्षक स्थान देता है।
यदि आप अपने उद्यान में क्रीपिंग फ़्लॉक्स को परिपालन करना चाहते हैं, तो इसकी कुछ मुख्य बातें ध्यान में रखनी चाहिए।
– प्रत्येक प्रकार की मिट्टी का अच्छा चयन करें: क्रीपिंग फ़्लॉक्स धारण करने के लिए, आपको एक अच्छी निर्मित मिट्टी का चयन करना आवश्यक है। इसे सुरमा मिट्टी या हमसे बनाई गई आर्गेनिक मिट्टी के साथ मिश्रण करना चाहिए। यह मिट्टी उत्कृष्ट निर्णय करेगी और रोग प्रतिरोधी बनाएगी।
– समय से पानी दें: क्रीपिंग फ़्लॉक्स को पानी की अच्छी मात्रा में आधिकारिक पानी देना बहुत महत्वपूर्ण है। इसे नियमित रूप से समय पर पानी देना चाहिए, लेकिन उद्यान में पाठिंबर सुरख बनाए रखने के लिए जल विद्युतीकरण के साथ आपका सहायकों को खरीदने की भी आवश्यकता हो सकती है।
– उचित प्रकार का छायांकन: क्रीपिंग फ़्लॉक्स को पूरे सूर्य प्रकाश में ही सुंदर ढंग से विकसित होने की आवश्यकता है। संपूर्ण रोशनी उनकी विकास की गति को बढ़ाने में सहायता करेगी। इसलिए, इसे एक ऐसे स्थान पर बोयें जहां यह सबसे अधिक सूर्य की किरणों का उपभोग कर सके।
– सभी ओवरग्रोथ को हटाएं: सभी अतिरिक्त ओवरग्रोथ और डेड हेड्स को सरसोंई की घास के इस्तेमाल करके नियमित रूप से हटा दें। इससे पौधे को आकर्षक व उज्ज्वल रखने में मदद मिलेगी और यह भी सुनिश्चित होगा कि कोई कीटाणु विकार न हो।
– उने योग्य पोषक तत्वों से उपजाएँ: क्रीपिंग फ़्लॉक्स के लिए एक पूर्ण खाद मिश्रण प्रदान करें जो उन्हें आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करेगा। आप इस के लिए एक अमित खाद या बाजर खाद का उपयोग कर सकते हैं, जो पौधों के स्वस्थ विकास के लिए महत्वपूर्ण होता है।
उपरोक्त सावधानियों का पालन करके, आप अपने उद्यान में क्रीपिंग फ़्लॉक्स की खूबसूरत आवाज़ी का आनंद ले सकते हैं और आपका उद्यान खिलने और सुंदर दिखने में सुखद और एकत्रित दिखेगा।
क्रीपिंग फ़्लॉक्स के पौधे का सांस्कृतिक उपयोग (Cultural Uses Of The Creeping Phlox)
“क्रीपिंग फ़्लॉक्स” संस्कृत में “क्रीपिंग फ्लॉक्स” भी कहलाता है। यह एक पौधा है जिसके पत्ते हरे रंग के होते हैं और जब यह पूरी तरह से विकसित हो जाता है, तो इसकी पत्तियों का ढेर कारते हुए एक रंगीन चट्टान बन जाती है। क्रीपिंग फ़्लॉक्स बहुत ही आकर्षक दिखता है और इसे सड़क में, बाग में या घर के आस-पास के स्थानों पर लगाया जा सकता है।
यह जीवन्त, बढ़ने वाला पौधा होता है और जमीन पर गढ़ बना सकता है जिससे उसका अधिकतम आकर होता है। इसे लगाना और बचाना भी आसान होता है और इसे ध्यान रखने के लिए कम समय और पर्याप्त पानी की आवश्यकता होती है।
क्रीपिंग फ़्लॉक्स का पौधा कहां पाया जाता है (Where Is The Creeping Phlox Plant Found)
क्रीपिंग फ़्लॉक्स, जिसे हिंदी में ‘छप्परघाटी फूल’ कहते हैं, यह एक सुंदर फूलों वाला पौधा है जो पर्यावरण में पाया जाता है। यह प्रमुख रूप से उत्तरी अफ्रीका, इण्डिया, इरान और तुर्की में पाया जाता है। यह जितना आकर्षक दिखता है, उतना ही मिति-सहिष्णुता वाला और टिकाऊ है।
क्रीपिंग फ़्लॉक्स छोटे-छोटे पौधों और छोटे गुच्छों के रूप में पैदा होता है और साफ पाथ या दीवारों पर छप्रपट-सा फैलता है। इसकी फूलों की रंगीनता और उनकी सुगंध बहुत ही मनमोहक होती है। छप्रपट फूलों का नेतृत्व भूरे, गुलाबी, लाल, सफेद और नीले रंग में होता है। इनकी सुंदरता एवं विविधता के कारण यह भारत में विशेष रूप से पारिजातक पौधा के रूप में प्रचलित होता है।
छप्रपट फूलों का विचित्र पौधा मूल रूप से संगठित संयोजनों का टुकड़ा होता है, जो कीटों और पानी को इसके ऊपर चलने से रोकते हैं। यह इसे प्राकृतिक सेवाओं का एक मजबूती स्रोत बनाता है। इसके अलावा, छप्रपट फूलों की संवृद्धि आसानी से होती है और इसे समायोजित किए बगीचे, सड़कों और विश्राम-स्थलों में आकर्षक बनाने के लिए उपयोग किया जा सकता है।
क्रीपिंग फ़्लॉक्स की प्रमुख उत्पादन राज्य (Major Producing State Of Creeping Phlox)
क्रीपिंग फ़्लॉक्स भारत के विभिन्न प्रदेशों में विपणन में मुख्य भूमिका निभाती है। यह ज्यादातर पहाड़ी प्रदेशों जैसे हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू और कश्मीर, और पश्चिमी घाटी राज्यों में बड़े स्तर पर उत्पादित किया जाता है। इसका उत्पादन मुख्यतः यहां के खेती क्षेत्रों में होता है, जहां पर्यावरणीय और क्षेत्रीय शर्तों का यह पौधा उत्पन्न किया जाता है।
क्रीपिंग फ़्लॉक्स को भारतीय किसानों द्वारा बीनने के बहुत सारे बेग और बुर्ज-बगीचों में सपूत पौधा के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। इसकी पर्यावरणीय एवं क्षेत्रीय मानकों को ध्यान में रखते हुए, इसके उत्पादन को बढ़ाने के लिए औद्योगिक प्रक्रियाएं विकसित की जा रही हैं।
क्रीपिंग फ़्लॉक्स के पौधे के चिकित्सा गुण (Medical Properties Of Creeping Phlox)
क्रीपिंग फ़्लॉक्स, जिसे हिंदी में धारीदार फ़ूली भी कहा जाता है, एक पौधे की तरह फैलने वाला वनस्पति है जिसे आमतौर पर उद्यानों और माल बागीचों में उगाया जाता है। यह वैज्ञानिक रूप से क्रीपिंग फ़्लॉक्स सुबुलाता है और प्राइमरोजेनिटर नामक पौधे के वर्ग का हिस्सा होता है।
क्रीपिंग फ़्लॉक्स के आयुर्वेदिक औषधीय गुणधर्म होते हैं जिनका उपयोग कई स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज में किया जाता है। यह उपाय संयोजन, मस्तिष्क की गतिविधि और विश्राम को सुधारने का काम करता है। यह एक प्राकृतिक सेदेटिव होता है जो नींद में मदद कर सकता है और तनाव को कम करने में भी सहायता प्रदान कर सकता है।
क्रीपिंग फ़्लॉक्स के औषधीय उपयोगों के कुछ मुख्य बातें हैं:
1. चिंता और तनाव को कम करने में मददगार हो सकता है।
2. नींद में सुधार कर संयोजन की भूमिका निभा सकता है।
3. गैस, पाचन संबंधी समस्याओं और पेट दर्द को कम करने में मदद कर सकता है।
4. उन्माद रोग के लक्षणों को रोकने और कम करने में सहायता प्रदान कर सकता है।
5. मस्तिष्क की गतिविधि और याददाश्त को सुधारने में मदद कर सकता है।
6. तनाव से होने वाली शरीरिक और मानसिक थकान को दूर कर सकता है।
7. श्वसन संबंधी समस्याओं जैसे खांसी और ठंडी में राहत प्रदान कर सकता है।
यहाँ दिए गए सूची में से किसी भी चिकित्सा प्रणाली का उपयोग करने से पहले, एक चिकित्सक की सलाह लेना उचित होगा। कृपया ध्यान दें कि यह जानकारी केवल सामान्य जानकारी के रूप में है और चिकित्सा दर्शन या उपचार की जगह नहीं है।
क्रीपिंग फ़्लॉक्स का वैज्ञानिक नाम (Scientific Name Of Creeping Phlox)
क्रीपिंग फ़्लॉक्स, जिसे हिंदी में “फुटपाथ फुल” भी कहा जाता है, एक छोटा और पुष्पयुक्त पौधा है जो मुख्य रूप से पथ या उद्यानों के किनारे प्राकृतिक रूप से प्रफुल्लित होता है। इसका वैज्ञानिक नाम “Polemoniaceae” है। यह बुशब्दार पौधा होता है, इसके पत्ते छोटे और सुगन्धित होते हैं। यह डेढ़ इंच से लेकर तीन इंच ऊँचा हो सकता है और उगने पर पौधा मुख्यतः घास की तरह विस्तारित होता है।
क्रीपिंग फ़्लॉक्स पौधा बेहद पर्यावरणीय और शोभायमान होता है। इसके फूल विविध रंगों में होते हैं जैसे कि गुलाबी, लाल, नीले आदि। यह फ़ूल बहुत आकर्षक होते हैं और काफी समय तक प्रफुल्लित रहते हैं। क्रीपिंग फ़्लॉक्स बॉर्डरस और ग्राउंड कवर्स के रूप में बहुत उपयोगी साबित होता है और इससे रंगीन बागान और उद्यान बनाने का आनंद लिया जा सकता है। इसकी पेड़ों पर विस्तारशील शाखाएं होती हैं जो इसे आकर्षक और आकर्षक बनाती हैं। इसके अलावा, इसकी परेशानी काफी कम होती है और इसे आसानी से पल्टा, कटा और अन्य पौधों के पास रखा जा सकता है।
क्रीपिंग फ़्लॉक्स की खेती (Creeping Phlox Cultivation)
क्रीपिंग फ़्लॉक्स एक सुंदर गुलाबी, लाल, नीले या सफेद रंग के फूलों वाला पौधा है, जिसे मुख्य रूप से अवलंबी हड़फुल और ऊचाई रंगे के खसखस परिवार से पाया जाता है। इसके छोटे फूल सदियों तक खिलते रहते हैं और इसे विशेष रूप से मार्च और मई महीनों के दौरान देखा जा सकता है।
क्रीपिंग फ़्लॉक्स को बगीचे में पुष्पवृक्षीय वृक्ष के रूप में प्रदर्शित किया जा सकता है या पत्तियों की वृद्धि के लिए पेड़ों और बंदरगाहों के चारों ओर खिलाया जा सकता है।
क्रीपिंग फ़्लॉक्स विशेष रूप से शानदार दिखता है जब इसे एक खड़ा वृक्ष की तरह उगाया जाता है और यह आकृति बंदरगाह और फ़िल्टर पौधे को आकर्षक बनाती है।
क्रीपिंग फ़्लॉक्स की खेती के एक महत्वपूर्ण तरीके के बारे में जो आसान हैं, हम नीचे विस्तारित कर रहे हैं:
1. सबसे पहले, जब आप क्रीपिंग फ़्लॉक्स की खेती करना चाहते हैं, तो पौधों के लिए संपूर्ण, साफ और सुथरा मिट्टी को तैयार करें। आप मिट्टी में कमल के खाद का उपयोग कर सकते हैं ताकि पौधे को पोषण मिल सके।
2. अब, एक अच्छी खेती क्षेत्र चुनें जहां धूप और छाया दोनों उपलब्ध हों। यह पौधा संकर होता है और धूप तपन से बचाएगा।
3. जब आप उपयुक्त स्थान चुन लें, तो अपनी मिट्टी पर उनका बड़ा हिस्सा हल्के से रंग लगा सकते हैं। फिर, मिट्टी पर एक तकीया बनायें जिससे जैसे गड्डे या भूरें ब्रिक्स बनाना होता हैं। इसमें फलने के बाद आपको कई छिद्र करने होते हैं जो कि दाईं ओर इस बात की ओर जायेंगे ताकि फूलों को पौराणिक दिखावट दे सकें।
4. अब, बड़े प्रकाशित ऴफाशीयों को यहां और वहां छिड़के या रखकर फूलों के बीच दूर दूर रखें। इससे कृपाण दिखेगा और पाने में आसानी होगी।
5. पौधों को चीजों द्वारा बांध सकते हैं, जिससे वे फलते वक्त सुंदर दिखेंगे। आप तार, डाल के आधार पर और एक घूंघरू या पत्ती जैसी चीज़ से प्रभावी तरीके से पत्तियों को सजा सकते हैं।
6. प्रत्येक सप्ताह में क्रीपिंग फ़्लॉक्स को पानी दें ताकि वह खूबसूरत और पोषणीय रहे। यहां ध्यान दें कि अधिक पानी देने से पौधे की मूल जड़ों के नीचे पानी जमा होने से कीटों और रोगों की संभावना बढ़ सकती है।
7. फ़्लॉक्स के पौधों को ताजगी देने के लिए, स्प्रे ब्रांड खाद को पानी में मिलाकर प्रयोग करें और पौधों पर छिड़कें। यह पेड़ को और सुंदर और फूलदार बनाएगा।
इस प्रकार, आप क्रीपिंग फ़्लॉक्स की सही खेती कर सकते हैं और इसे आपके बगीचे में एक आकर्षक सामरिक रंग देने के लिए उपयोग कर सकते हैं।
क्रीपिंग फ़्लॉक्स की खेती (Farming of Creeping Phlox)
क्रीपिंग फ़्लॉक्स एक छोटी पौधा प्रजाति है जिसे भारत में विभिन्न स्थानों पर उगाया जाता है। यह फ़ेलिस क°ोंफ़ेरा नामक पौधा का एक संग्रही है जो मुख्य रूप से अगर-बगर व चट्टानील इलाकों में पाया जाता है। इसके चोटी छोटे फूलों का सफेदे या गुलाबी रंग होता है जो इसे चारों ओर आकर्षक बनाता है।
यह फ़ूलों की बागवानी में उपयोग होता है और इसे छत, चट्टानों, घाटी, और उत्पादन के लिए सीमाओं में उगाया जा सकता है। क्रीपिंग फ़्लॉक्स पाधार से उगाने के लिए आसान और सुलभ माना जाता है और इसे सार्वजनिक और निजी उद्यानों में खूबसूरत सजावटी पौधा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
क्रीपिंग फ़्लॉक्स खेती अधिकांश गर्म मौसम वाले प्रदेशों में की जाती है जहाँ इसके लिए पर्याप्त धूप और सोखे माटी की आवश्यकता होती है। खेती के लिए बिये हुए बिये को पहले तैयार करके उगाने के लिए एक मंडप (छोटा खेत) तैयार किया जाता है। उपयुक्त मात्रा में जीवानुवान की आवश्यकता होती है जैसे कि खेती समय पानी और खाद। इसकी नर्सरी में भी पसंदीदा पौधों को बारिश के बाद तैयार किया जा सकता है ताकि उन्हें खेती के लिए तैयार किया जा सके।
क्रीपिंग फ़्लॉक्स खेती के लिए योग्य जमीन की एक उचित पहचान की आवश्यकता होती है जिसमें अच्छी सिरमिच की उपस्थिति होती है। इसकी खेती में निरंतर समयिक उस्ताद और रखभावना की आवश्यकता होती है ताकि यह सुन्दर पौधा व्यापार के लिए उचित रूप से तैयार किया जा सके।
क्रीपिंग फ़्लॉक्स/Creeping Phlox FAQs
Q1: क्रीपिंग फ़्लॉक्स क्या होता है?
A1: क्रीपिंग फ़्लॉक्स (Creeping Phlox) एक माथी वाला पौधा है, जिसमें छोटे-छोटे फूल होते हैं। यह धारित्रीय पौधा होता है, जो जगह बदलते-बदलते भ्रमण कर सकता है।
Q2: क्रीपिंग फ़्लॉक्स किस प्रकार विस्तृत होता है?
A2: क्रीपिंग फ़्लॉक्स आकार में प्रस्तुत होता है, जिसमें फूलों का विस्तार पौधे के आगे चलता है। यह पादप आंचल में फैल जाता है और धरती से जुड़ जाता है।
Q3: क्रीपिंग फ़्लॉक्स को कहाँ बगीचे में लगाया जा सकता है?
A3: क्रीपिंग फ़्लॉक्स बगीचे के अंदर कई स्थानों पर लगाया जा सकता है, जैसे कि पत्थरों के बीच चारों ओर, इमारतों की भूमि, सीमांत रेत आदि।
Q4: क्रीपिंग फ़्लॉक्स का देखभाल कैसे करें?
A4: क्रीपिंग फ़्लॉक्स की देखभाल आसान होती है। इसे नियमित ढाल देने की आवश्यकता होती है, और यह पानी और खाद के लिए पोषण की आवश्यकता नहीं होती।
Q5: क्रीपिंग फ़्लॉक्स कितने उच्च होता है?
A5: क्रीपिंग फ़्लॉक्स ऑनली चार इंच तक का होता है। यह बगीचे में चट्टानों के बीच फैलकर एक सुंदर विस्तार बनाता है।
Q6: क्रीपिंग फ़्लॉक्स किस रंग में उपलब्ध होता है?
A6: क्रीपिंग फ़्लॉक्स कई विभिन्न रंगों में उपलब्ध होता है, जैसे पीला, गुलाबी, लाल, नीला आदि।
Q7: क्रीपिंग फ़्लॉक्स जनाश्रयी होता है या नहीं?
A7: हाँ, क्रीपिंग फ़्लॉक्स जनाश्रयी होता है, इसलिए इसे धरती की सतह से जुड़ा हुआ रखना संभव होता है। यह गतिशीलता के साथ उगता है और अन्य पौधों को फंसने से रोकता है।
Q8: क्रीपिंग फ़्लॉक्स खेती के लिए सही माना जाता है?
A8: हाँ, क्रीपिंग फ़्लॉक्स खेती के लिए बड़ी उपयुक्त माना जाता है। इसे आसानी से प्रबंधित किया जा सकता है और विभिन्न मौसमी और मृदाभूमि शर्तों में उगाया जा सकता है।
Q9: क्रीपिंग फ़्लॉक्स के लिए बीज कहाँ से मिलेंगे?
A9: क्रीपिंग फ़्लॉक्स के बीज बगीचे विशेषज्ञों या वाणिज्यिक बीज दुकानों से आसानी से प्राप्त किए जा सकते हैं। आप इंटरनेट पर भी उपलब्धता की जांच कर सकते हैं।
Q10: क्रीपिंग फ़्लॉक्स का वर्षा काल में लेंना है या नहीं?
A10: क्रीपिंग फ़्लॉक्स को वर्षा काल में प्राप्त करने में कोई अस्वीकार्य बात नहीं है। यह अपने पूरे महत्वाकांक्षी विकास के लिए आवश्यक नींव बनाने में मदद कर सकता है।
Meet Sumati Surya, a distinguished Professor of Theoretical Physics at the renowned Raman Research Institute in Bangalore. With a Ph.D. from Syracuse University in 1997, she has devoted her career to exploring the fascinating realms of classical and quantum gravity.
Sumati’s primary area of expertise lies in the Causal Set approach to Quantum Gravity, a captivating concept where spacetime continuum is replaced by a locally finite partially ordered set. Motivated by the HKMM theorem in Lorentzian geometry, which establishes the equivalence between the causal structure of a spacetime and the conformal class of the spacetime under mild causality conditions, Sumati’s work holds profound implications for the understanding of our universe.
Apart from her groundbreaking research in quantum gravity, Sumati Surya has a keen interest in quantum foundations. She delves into aspects of classical gravity related to Lorentzian geometry and causal structure, making her a well-rounded expert in her field.
Throughout her illustrious career, Sumati has collaborated with esteemed researchers and scholars, including Nomaan X, Abhishek Mathur, Fleur Versteegen, Stav Zalel, Yasaman Yazdi, Ian Jubb, Lisa Glaser, Will Cunningham, Astrid Eichhorn, David Rideout, Fay Dowker, and Rafael Sorkin, among many others.
With her profound contributions to theoretical physics and a relentless pursuit of unraveling the mysteries of gravity, Sumati Surya remains at the forefront of cutting-edge research, inspiring the next generation of scientists and leaving an indelible mark on the scientific community.