कलंकोई फूल एक आकर्षक पौधा है जो ऐसे छोटे-छोटे फूलों की भारी माला प्रदान करता है, जो इसे बगीचों, छत्तों और घर के अंदर शानदार बना देते हैं। इसका वैज्ञानिक नाम कालांको starrata है, और अंग्रेजी में इसे “कलंकोई” नाम से जाना जाता है। यह मूल रूप से मैदानी और मध्य अफ्रीका का है, लेकिन यह सभी मिटायों में बधिया संपत्ति के रूप में मान्य है।
कलंकोई का फूल बहुत ही रोचक आकर्षक होता है जो अपनी पीली, लाल, नारंगी, हरे और सफेद रंगीन मालाओं से परिपूर्ण होता है। यह एक सुंदर और अत्युत्तम वृक्ष है, जो बीजों, लिए nature को बदल कर बगीचे को धन्य कर सकता है। इसकी सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह कम पानी और शीघ्र सूखने की क्षमता बनाए रख सकता है, इसके कारण यह एक मान्य पौधा है जो सूख के ठिठुरन से निपटने के लिए उपयुक्त है।
कलंकोई पौधे को देखने में छोटे लगता हैं, लेकिन इसकी सुंदरता इसे दूसरे पौधों से अलग बनाती है। यह अपने आकर्षक फूलों के लिए प्रसिद्ध है, जिनका हर सप्ताह में बदलकर इसका वातावरण नया रंग प्रदान करता है। इसके पत्तों की मोटाई और यहां तक कि उनकी कम जगह के कारण यह एक अद्भुत प्रकृति के रूप में जाना जाता है। कलंकोई की कुछ प्रमुख प्रजातियाँ Kalanchoe blossfeldiana, Kalanchoe pinnata और Kalanchoe daigremontiana हैं।
इसके अतिरिक्त, कलंकोई पौधा आयुर्वेदिक मेडिसिन में भी महत्वपूर्ण उपयोग किया जाता है, जिसका उपयोग आपके स्वास्थ्य को बढ़ाने में और बीमारियों के इलाज में किया जाता है। कलंकोई का रस अस्थमा, बलगम, कॉलिक, पाचन शक्ति की कमी और कई अन्य रोगों में लाभकारी होता है। ये फूल विशेष रूप से न्यूजीलैंड के कई तिप्पणीदार पर्यटन स्थलों के रूप में मशहूर हैं, जहां यह विशेष तौर पर नवरात्रि में प्रदर्शन किए जाते हैं।
इन सभी कमाल में, कलंकोई एक अत्यंत प्रिय और पसंदीदा पौधा है, जिसे अपने बगीचे या अपने आस-पास रखकर हम इसका आनंद ले सकते हैं। वहां की सुंदरता और आरामदायकता का एहसास हमेशा हमारे मानसिक और शारीरिक कल्याण के लिए लाभदायक होता है।
Contents
- कलंकोई क्या है? (What Is Kalanchoe?)
- कलंकोई का इतिहास (History Of Kalanchoe )
- कलंकोई की प्रकार (Types Of Kalanchoe)
- अन्य भाषाओं में कलंकोई के नाम (Kalanchoe Names In Other Languages)
- कलंकोई के उपयोग (Uses Of Kalanchoe)
- कलंकोई के फायदे (Benefits Of Kalanchoe)
- कलंकोई के नुकसान (Side effects Of Kalanchoe)
- कलंकोई का पौधे की देखभाल कैसे करें (How To Take Care Of Kalanchoe Plant)
- कलंकोई का पौधा कहां पाया जाता है (Where Is The Kalanchoe Plant Found)
- कलंकोई की प्रमुख उत्पादन राज्य (Major Producing State Of Kalanchoe)
- कलंकोई के पौधे के चिकित्सा गुण (Medical Properties Of Kalanchoe)
- कलंकोई का वैज्ञानिक नाम (Scientific Name Of Kalanchoe)
- कलंकोई की खेती (Kalanchoe Cultivation)
- कलंकोई की खेती कहां होती है ( Where is Kalanchoe Farming done?)
- कलंकोई/Kalanchoe FAQs
कलंकोई क्या है? (What Is Kalanchoe?)
कलांकोई (Kalanchoe) फूल एक प्रकार के झाड़ीपोदे या छोटे पौधों के द्वारा उगाए जाने वाले हैं। ये पौधे लम्बी उंगलियों वाले पत्तियां होते हैं। इनमें कई अलग-अलग रंग के और पौधे के अलावा रंगीन फूल भी होते हैं। ये फूल आमतौर पर चमकदार और आकर्षक होते हैं और इनका उपयोग फूलदानी, बागों में सजावट और आवासीय जगहों में होता है।
कलांकोई फूल सुनने की दृष्टि से बहुत प्रशंसा प्राप्त करते हैं और इन्हें पौधें के रूप में घरों में पसंद किया जाता है। ये पौधे आमतौर पर कम सूर्यप्रकाश वाली स्थानों पर अच्छे रूप से खिल सकते हैं। इन्हें गर्म, सूखे क्षेत्रों में कठोर और प्रवाल भूमि में उगाने के लिए अच्छा माना जाता है।
कलांकोई में मेहनत में कमी आती है और ये पौधा ध्यान रखने में आसान होता है। ये पौधे कम पानी और तापमान में अच्छे संतुलन में खिलते हैं। इनकी पालन-पोषण के लिए प्रकृति में मिलने वाले जल स्रोत, बिजली, हवा और उर्वरक की आवश्यकता नहीं होती है।
बारिश की वजह से इनमें अवसाद हो सकता है, इसलिए जब तक पौधे के पास अच्छी ड्रेनेज नहीं होती है, तब तक या जब और संक्रमण हो सकता है तब तक कलांकोई को सतही जगह पर खड़ा रखना चाहिए।
कलांकोई फूलों का एक और सुंदरता छिपी होती है, वह है कि ये रूखों की शाम को खिलते हैं, यहां तक कि प्रसाव की शाक के तहत भी। ये पौधे विभिन्न कीटों, परजीवियों और पारसीटों से सुरक्षा करने के लिए केमिकल यूपी धारित होते हैं, जो किसानों द्वारा प्राकृतिक एवं प्रभावी रूप से प्रयोग किया जाता है।
इस प्रकार, कलांकोई फूल बोहोत ही सुंदर और आकर्षक होते हैं जो खूबसूरती और प्रकृति की सुंदरता को आगे ले जाते हैं। इन्हे अच्छे रखने में आसानी होने के कारण, यह फूल लोगों में बहुत प्रसिद्ध हैं और उनकी पसंदीदा बाग या महलों की सजावटी पौधों में शामिल किया जाता हैं।
कलंकोई का इतिहास (History Of Kalanchoe )
कालांकोई या कलंचोई एक उपास्य पौधा है जिसका पौधा और फूल दोनों खूबसूरत होते हैं। यह पौधा पूरे विश्व में अपनी प्रशस्ति के लिए मशहूर है। कलंचोई पौधा खरबूजे के वर्ग में आता है और सूखे में अपने कारण बचा रह सकता है।
कलंचोई को मध्य एशिया के अलावा में भी खोजा गया है, लेकिन इसका मूल शून्य कम आगे नहीं पता चला है। जिस दौर में हम जी रहे हैं, उस समय की सभी विविधताओं में भी कलंचोई जीवधारी रहार ले रही है।
कलंचोई के फूल दिखने में एकदम सुंदर होते हैं। इनमें विविध रंग की प्राकृतिक मंदाताओं जैसे हरा, लाल, बैंगनी, सफेद और पीले हो सकते हैं। पाठ्यक्रम में भी एक गुलाबी स्पष्टता है, और जैसे-जैसे यह पकता है, उसका रंग और उज्ज्वल होता जाता है।
कलंचोई के पत्ते मोटे, तने और मसलदार होते हैं। इन पत्तों की आकृति सजावटी होती है और इसे सबसे अधिक बारिश के समय देखा जा सकता है। यह एक साधारण संकेत है कि कलंचोई को ज्यादा पानी की आवश्यकता होती है।
जब यह पौधा विकसित हो जाता है, तो इसके फूल के पास बीजों की तरह छोटे-छोटेडोंगे होते हैं, जिन्हें एक नई पौधे का विकास होता है। इन बीजों को उचित मात्रा में मिट्टी में बोया जा सकता है, जिससे नए पौधे ताजगी और जीवंत हो सकते हैं।
कलंचोई पौधा अंग्रेजी में “एरवोर्थियम” कहलाता है और इसको पौधे के महके हुए शहद की खुशबू के कारण भी जाना जाता है। यह शहद बचाने के लिए एक सुरक्षा प्रणाली भी देता है, क्योंकि इसकी पत्तियों पर विषाणुओं की मूक आवाज सुनाई भी देती है। जब इनका ध्यान आता है, तो पत्तियों को एक अधिक गोलाईयाँ बनती हैं और पौधा अलमारी में प्रकाश सुनाई देता है।
कलंचोई हरे घास, बगीचों, पहाड़ों और जंगलों में पाई जा सकती है। यह ऐसे स्थानों पर अकेले में ऐसे पौधों के रूप में पाए जाते हैं जो कि जीवन के लिए कठिन हो सकते हैं, पर उन्हें भी इन्हें देखने के लिए कामयाब धरातल होना चाहिए। यह पौधा फूलने में भी काफी देखभाल मांगता है, लेकिन अगर आप सही रखवाली करेंगे, तो इसे आपके बगीचे में प्रदर्शित करने के लिए एक बहुत ही सुंदर और फ़िक्सड पौधा हो सकता है।
कलंकोई की प्रकार (Types Of Kalanchoe)
कलंकोई एक प्रकार के फूलों वाले पौधे हैं और इसके कई प्रकार हैं जो हिंदी में बहुत प्रसिद्ध हैं। इसके प्रकारों की सूची हम यहां देखेंगे जो 6वीं कक्षा के छात्रों को समझने में आसान होंगे।
1. कलंकोई पिनस्नीआना (Kalanchoe pinnata): यह प्रकार कलंकोई पत्तियों की संरचना के कारण जाना जाता है। इसकी पत्तियाँ शांत, गहरे हरे रंग की होती हैं।
2. कलंकोई ब्रेमरीआना (Kalanchoe blossfeldiana): यह प्रकार कलंकोई के पॉपुलर फूलों में से एक है। इसके पुष्प पत्तियों के ऊपर मार्जिन या बॉर्डर के रूप में लाल रंग में होते हैं।
3. कलंकोई लौवआना (Kalanchoe laxiflora): यह प्रकार उनमें से एक है जिसमें पत्तियों की संख्या अधिक होती है। यह पत्तियाँ गहरे हरे रंग की होती हैं और उनकी ऊपरी सतह पर छोटे-छोटे फूल भी होते हैं।
4. कलंकोई दौग्लसी (Kalanchoe daigremontiana): यह प्रकार सुखे के दौरान भी अपनी पत्तियों को संभालता है। इसके पत्तियाँ मोटी होती हैं और उन पर मच्छर काटने वाले अंगूठे की तरह छोटी-छोटी पत्थरी बनी होती है।
5. कलंकोई मिल्लरी (Kalanchoe millotii): यह प्रकार पतारों के रूप में लोकप्रिय है। इसके पत्ते मोटे होते हैं और उन पर छोटे ओवरले के रूप में फूल बने होते हैं।
ये थे कुछ प्रमुख कलंकोई के प्रकार हिंदी में। यदि आपको कोई ऐसा प्रकार ज्ञात करना है जो यहां उल्लेखित नहीं हुआ है, तो आप अपने शिक्षक से कह सकते हैं वे आपको इसके बारे में और अधिक जानकारी देंगे।
अन्य भाषाओं में कलंकोई के नाम (Kalanchoe Names In Other Languages)
कलंकोई, जिसे सुखमान और एयर प्लांट भी कहते हैं, विभिन्न भाषाओं में विभिन्न नामों से जाना जाता है। यहां हम आपको इसके नाम कुछ भाषाओं में बता रहे हैं:
स्पेनिश: कालांचोए (Kalanchoe)
फ्रेंच: Kalanchoé
रूसी: Каланхое (Kalanchoe)
जर्मन: Kalanchoe
इटैलियन: Kalanchoe
पोलिश: Kalanchoe
पोर्टुगीज: Kalanchoe
दच: Kalanchoe
होलैंड: Kalanchoe
अरेबिक: كالانشوي (Kalanchoe)
यह नाम कलंकोई के बगीचों और घरों में पूरी दुनिया में इसकी अद्वितीयता को प्रकट करते हैं, चाहे आप इसे किसी भी नाम से जानते हों!
कलंकोई के उपयोग (Uses Of Kalanchoe)
कलंकोई (Kalanchoe) एक पौधा हैं जिसका उपयोग आयुर्वेदिक औषधि, सुंदरता उत्पादों, और आर्थिक फायदों के लिए किया जाता है। यह एक बेहद प्रभावी पौधा है और अपने बहुत सारे गुणों के लिए मशहूर है।
यहां कुछ महत्वपूर्ण पारंपरिक उपयोग दिए जा रहे हैं:
1. शारीरिक दर्द और सूजन को कम करने के लिए कलंकोई का रस उपयोग में लिया जा सकता है।
2. यह पौधा प्रमोट करने में मदद कर सकता है ताकि हम सुबह जल्दी उठ सकें और अपने दैनिक कार्यों के लिए तत्पर रह सकें।
3. कलंकोई के रस का उपयोग फुंसीलों, कटनों, और छोटे घावों के आपुरेंटिकर्ज़ को कम करने के लिए किया जा सकता है।
4. यह पौधा स्किनकेयर उत्पादों में उपयोग होता है जैसे कि मोइस्चराइज़र, फेसपैक, और विभिन्न तरह की त्वचा समस्याओं के लिए दवाई।
5. कुछ विज्ञानानुसार, कलंकोई शरीर की कई बीमारियों को रोकने और इलाज करने में मदद कर सकती है, जैसे कि रक्तचाप को नियंत्रित करना, छिपकली के काटने के इलाज में मदद करना आदि।
6. इसके फूलों से प्राप्त किए गए तेल को चमकदार बालों के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
यह सभी उपयोग कलंकोई के प्रमुख औषधीय गुणों में से कुछ हैं। हालांकि, हमेशा यह सुनिश्चित करें कि आप एक विशेषज्ञ की सलाह के बाद ही कलंकोई का उपयोग करें और इसका सही तरीके से प्रयोग करें।
कलंकोई के फायदे (Benefits Of Kalanchoe)
कलंकोई (Kalanchoe) एक पौधा है जो मुख्य रूप से फार्मास्यूटिकल गुणों के लिए प्रयोग होता है। यह पौधा भी घर की सजावट के लिए प्रसिद्ध है क्योंकि इसके फूल और पत्तियाँ बहुत सुंदर होती हैं। यह पौधा मुख्य रूप से अफ्रीका, मध्य एशिया और भारत के अल्पवन क्षेत्रों में पाया जाता है।
इस पौधे के कई लाभ और फायदे हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:
1. नकारात्मक ऊर्जा से बचाव: कलंकोई में पाए जाने वाले तत्व रिझाने में मददगार होते हैं और नकारात्मक ऊर्जा को प्रतिरोधित करने में मदद करते हैं। इससे इंसान को सकारात्मक ऊर्जा और ताकत मिलती है।
2. सांसों की सुखी खाँसी का उपचार: कलंकोई में पाए जाने वाले तत्व खाँसी को कम करने और सांस लेने में आराम प्रदान करने में मददगार होते हैं। इसे खाँसी और श्वासन तंत्र संबंधी समस्याओं के उपचार के लिए उपयोग किया जा सकता है।
3. रक्तचाप की नियंत्रण: कलंकोई के पत्तों में पाए जाने वाले तत्व रक्तचाप को कम करके उन्नति करते हैं। यह उच्च रक्तचाप से पीड़ित लोगों के लिए आराम प्रदान कर सकता है।
4. मसूड़ों और बांसों के रोगों का उपचार: कलंकोई में पाए जाने वाले तत्व मसूड़ों और बांसों के रोगों को ठीक करने में मदद कर सकते हैं। यह मसूड़ों के रोगों के जैसे मसूड़ों की सूजन, दर्द, फुड़क, या मसूड़ों की सुखाने को ठीक कर सकता है।
5. त्वचा संबंधी समस्याओं का उपचार: कलंकोई की पत्तियों में पाए जाने वाले तत्व त्वचा के प्रदूषण को कम करने और केमिकलों के प्रभाव से बचाने में मददगार होते हैं। यह त्वचा संबंधी समस्याओं जैसे चेहरे के अंधकार, दाग धब्बे, और त्वचा की सूखी में आराम प्रदान कर सकता है।
इन सभी लाभों के अलावा, कलंकोई भूख को बढ़ाने, पाचन में मदद करने, सूजन को कम करने, शरीर की संतुलन को बनाए रखने, और आंतों की साफ़ाई में भी मददगार होता है। यह एक सुरक्षीत रूप से प्रयोग किया जा सकता है, लेकिन इसके उपयोग से पहले एक चिकित्सक की सलाह लेना संज्ञानशील होगा।
कलंकोई के नुकसान (Side effects Of Kalanchoe)
कलंकोई (Kalanchoe) पौधे बगीचे या घरों में सजावटी पौधे के रूप में आमतौर पर पाए जाते हैं। इनकी हरी पत्तियों और फूलों का बेहद सुंदर आकार और रंग होता है। यह पौधा मुख्यतः जर्मनी, मैक्सिको और चीन में पाया जाता है। कलंकोई के अलावा, इसके अन्य नाम वियोलेट-लीफेड वॉनडेरवाल (Violet-leaved wonderwall), एयर प्लांट (Air plant), चिनी हृदय (Chinese heart) और शूगर ब्यूश (Sugar bush) भी हैं।
कलंकोई के उपयोगों को देखते हुए इसका उपयोग दवाओं में भी किया जाता है। इसके पत्तों को खाने के बाद गोखरू जैसी कुछ लक्षणिक दवाओं की तरह इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा, वैज्ञानिक शोधों ने पाया है कि कलंकोई में विभिन्न औषधीय गुण होते हैं जो अलग-अलग बीमारियों के इलाज में सहायक हो सकते हैं।
लेकिन परंतु, कलंकोई के इस्तेमाल से कुछ दिक्कतें भी हो सकती हैं। यहां कुछ मुख्य कलंकोई के साइड इफेक्ट दिए गए हैं:
1. विषाक्तता: कलंकोई के पर्यायी उपयोग के कारण, इसका सेवन अधिक मात्रा में किया जाना चाहिए। अगर आप इसे अधिक मात्रा में सेवन करते हैं, तो यह विषाक्तता के कारण उल्टी, पेट दर्द और अच्छे सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है।
2. त्वचा रिएक्शन: कलंकोई से संपर्क में आने पर स्किन इरिटेशन या एलर्जी उत्पन्न हो सकती है। इसलिए, इसे बारीकी से संपर्क से बचने की सलाह दी जाती है।
3. आंत्र विकार: कई मामलों में, कलंकोई के सेवन से पेट संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसमें पेट दर्द, उल्टी, तकलीफ, बदहज़मी, खट्टी डकार, दस्त इत्यादि शामिल हो सकते हैं। ऐसे मामलों में, संपर्क को तत्काल छोड़ देना चाहिए और चिकित्सा सलाह की जानी चाहिए।
यदि आप किसी भी तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्या से पीड़ित हैं, तो दवाईयों का सेवन करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। वे आपको सही मात्रा और सही उपयोग की सलाह देंगे।
कलंकोई का पौधे की देखभाल कैसे करें (How To Take Care Of Kalanchoe Plant)
1. प्रकृति की मर्यादा: कलंकोई पौधा गर्म और सुखी मौसम के लिए उचित होता है। इसलिए, आपको उपयुक्त ठंडे और धूप-मेंड़ने वाले स्थान का चयन करना चाहिए।
2. उचित जड़ी-बूटी: कलंकोई को आप उचित मिट्टी में लगाएं। पौधे ने अच्छी ग्राउंड ड्रेनेज की आवश्यकता होती है। इसके लिए, आप मिट्टी में बार्क, कोको-पिथ, बाजरी या पूर्ण ठोस संरचना का उपयोग कर सकते हैं।
3. आपत्तिसंप्रदायक कर्म: कलंकोई को बारिश और भीषण धूप से बचाएं। यह पौधा पार्टिशन या पहाड़ी की तरह की जगहों पर अच्छी तरह से खिलने की क्षमता रखता है।
4. समय समय पर पानी की मांग: कलंकोई को पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन जल-भरे रहने से बचें, क्योंकि यह रूखा और सार्वजनिकता के खिलाफ संवेदनशील होने की संभावना है। पौधा समपूर्ण तरीके से सूखने के पश्चात पानी को धारण करने के लिए मिट्टी को आवश्यक पानी से भरोषा करता है।
5. उपयुक्त खाद: कलंकोई को खुद को ऊर्जा देने के लिए उपयोगी खाद की आवश्यकता होती है। आप कम से कम मात्रा में जनरल पाट पौधे के लिए प्रयास करते हैं।
6. बुद्धिमानी की व्यवस्था: कलंकोई को सुंदर बनाए रखने के लिए नियमित छाती को प्रभावित करें। पेड़, ब्रश, या प्रशंसा छाती-देखभाल आपके पौधे को स्वस्थ और प्रज्ञाता बनाए रखता है।
इन सरल सुझावों का पालन करके, आप कलंकोई पौधे की देखभाल सफलतापूर्वक कर सकते हैं। यह एक आकर्षक और सुंदर पौधा है जिसे लगाने में आपको आनंद आएगा और जो आपके घर की सुंदरता को बढ़ाएगा।
कलंकोई का पौधा कहां पाया जाता है (Where Is The Kalanchoe Plant Found)
कलंकोई एक सुंदर सजावटी पौधा है जो गुलाबी, पीले, लाल या सफेद रंग में मिलता है। इसके फूल ज़मीन पर ही खिलते हैं और अपनी सुंदरता के कारण विशेष लोकप्रिय हैं। कलंकोई कुछ नस्लें छोटी होती हैं जो केवल 3 इंच तक ऊँची होती हैं, जबकि कुछ बड़े होते हैं जो 2-4 फीट तक इकट्ठे हो सकते हैं। हालांकि इन्हें देखभाल की आवश्यकता नहीं होती है, वे धूप और गर्म स्थानों को पसंद करते हैं।
कलंकोई का मूल आवास आफ्रिका में है, लेकिन यह अब पूरी दुनिया में पाया जा सकता है। यह सर्दी और शुष्कता बर्दाश्त कर सकती है और मौसम के दबाव में भी सुरक्षित रह सकती है। कलंकोई एक छोटी पौधा है जो अपने रंगीन फूलों के लिए ज्ञात है, फिर चाहे वे सोपानीय छतों पर हों या आपके बगीचे के कोनों में।
कलंकोई को लगाना आसान होता है और इसकी सूखी होणे की अवधि लंबी हो सकती है, इसलिए ऐसा पौधा है जिसे गमलों में या धार्यशालाओं में लगाने के लिए अच्छा माना जाता है। हालांकि, कृपया ध्यान दें कि कलंकोई कुछ मामलों में जहरीला हो सकता है, इसलिए इसे भोजन के लिए या पालतू जानवरों के बीच रखने से पहले संगठन से पुष्टि करने की आवश्यकता होती है।
कलंकोई की प्रमुख उत्पादन राज्य (Major Producing State Of Kalanchoe)
कलंकोई (Kalanchoe Major) एक पौधा है जो भारत के कुछ राज्यों में उगाया जाता है। यह पौधा मुख्य रूप से गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र में उगाया जाता है। इसे यहां के ट्रॉपिकल और सब-ट्रॉपिकल क्षेत्रों में अच्छे संपोषण और जल की आपूर्ति के कारण प्रमुखतः उगाया जाता है।
यह पौधा छोटे, गोल और गहरे हरे पत्तों के साथ दिखाई देता है, जिनमें लम्बे और मोटे ढीले चढ़वार-समूह होते हैं। इसके फूल भी हरे रंग के होते हैं और उनकी संख्या एक ही पौधे पर बहुत ज्यादा होती है। यह पौधा गर्मी में उधरबधर अवनत भूमि पर आसानी से बढ़ता है और इसके द्वारा कंपोस्ट बनाना भी मुश्किल नहीं होता है।
Kalancoe पौधा सुंदर देखने में है और इसे पौधों के उद्यानों में और मकानों में भी सुखद सजावट रूप में उपयोग किया जाता है। इसे लोग अपने घरों में पेड़ों के रूप में ऋचा करते हैं और इसकी खूबसूरतता काफी प्रमुख है।
कलंकोई के पौधे की आमतौर पर कोई विशेष देखभाल की आवश्यकता नहीं होती है, और इसे बीजों और पोटलिंग मिश्रण के माध्यम से तेजी से विकसित किया जा सकता है। इसे कम से कम 4-6 घंटे रोजगार दी जानी चाहिए जो तापमान 50-70 डिग्री फ़ेरनहाइट के बीच होना चाहिए।
कलंकोई एक बहुवर्णीय पौधा है और इसे चमकदार और सूर्य प्रकाश में रखना चाहिए। यह मिट्टी के उपयोग के लिए शुष्क और धातु संचय युक्त मिट्टी की आवश्यकता होती है। इसे सम्भावित रूप से पानी करने और इसे उर्वरक से पोषित करने की आवश्यकता होती है।
कलंकोई का पौधा भारत की अन्य भूमियों के लिए उच्च मांग है यदि उसे किसी अन्य देश में उगाना हो तो धानी, गन्ने की कस्तूरी, जीरा और मुंडी की खेती आदि उत्पादन क्षेत्रों को छोड़कर भारत के कुछ राज्यों और देशों के लिए खुदाई जा सकती है।
मुख्यतः, कालकोई पर आधारित उद्यानन उद्योग और पौधों के उपयोग को विशेष रूप से Gujarat, Rajasthan और Maharashtra में बढ़ावा दिया जाता है। इन राज्यों के मौसम और जलवायु के आनुकूल होने के कारण, इसे यहां पर्यावरण में गहनता से उगाया जा सकता है। इसलिए, इन राज्यों को कलंकोई मेजर के उत्पादन की मुख्य उद्योग क्षेत्र के रूप में होने का इंडिया में महत्वपूर्ण योगदान है।
कलंकोई के पौधे के चिकित्सा गुण (Medical Properties Of Kalanchoe)
कलंकोई, जिसे अंग्रेजी में “Kalanchoe” कहा जाता है, एक पौधे की तरह की जड़ी-बूटी है जिसका वैज्ञानिक नाम “Kalanchoe pinnata” है। यह पौधा मुख्य रूप से अफ्रीका में पाया जाता है, लेकिन यह भारत जैसे अन्य देशों में भी पाया जाता है। कई लोग इसे घास के रूप में भी जानते हैं, इसके पत्तियाँ हरे रंग की होती हैं और छोटे-छोटे नरम पत्ते होते हैं।
इसके आरोग्य प्रयोग में भी कई फायदे होते हैं, जो हम यहां निम्नलिखित बिंदुओं में साझा कर रहे हैं:
1. एंटी-एकसाइडेंट गुण: कलंकोई में मौजूद एंटी-एकसाइडेंट तत्व आपके शरीर को बिना कष्ट के विषक्रियाओं के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करते हैं। इसके नियमित सेवन से आपकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और आपके शरीर के कोशिकाओं को मजबूत करती है।
2. सुखी खांसी और जुकाम: कलंकोई में एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं जो आपके श्वसन नलिकाओं को ठंडक पहुंचाने में मदद करते हैं और सुखी खांसी और जुकाम को दूर करते हैं।
3. पेट के रोग: कलंकोई के प्रयोग से आपके पेट संबंधी रोगों में आराम मिलता है। इसे पाचन तंत्र को सुचारू रूप से काम करने में मदद करने के लिए ज्यादा तर इस्तेमाल किया जाता है।
4. छाती में दर्द: कलंकोई में पैरोक्सिन नामक एक तत्व मौजूद होता है जो छाती में दर्द को कम करने में मदद करता है। इसे बार-बार खाने से आपको छाती में होने वाले दर्द से राहत मिलती है।
5. जली हुई छाती: कई लोगों को जली हुई छाती की समस्या होती है और कलंकोई इस समस्या को दूर करने में मदद कर सकती है। अपने प्रयोग से यह आपको छाती की जलन और संबंधित तकलीफों से राहत दिला सकती है।
इन रूट्स (रजबी) के औषधीय उपयोगों को ध्यान में रखते हुए, आपको हमेशा यदा रखना चाहिए कि नई दवा शुरू करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श जरूर लें, विशेष रूप से यदि आपकी किसी बीमारी का इलाज चल रहा हो। इसके अलावा, ध्यान रखें कि यह जानकारी केवल आपकी सूचना के उद्देश्यों के लिए है और आपके रोग और चिकित्सा की जांच के बिना कोई भी इलाज शुरू करने से पहले यदा लें।
कलंकोई का वैज्ञानिक नाम (Scientific Name Of Kalanchoe)
कलंकोई (Kalanchoe) के वैज्ञानिक नाम है Kalanchoe. यह एक सुंदर पुष्पीय पौधा है जो मुख्य रूप से अफ्रीका, एशिया और मध्य एवं दक्षिणी अमेरिका में पाया जाता है। कलंकोई के लगभग 125 से अधिक प्रजातियाँ हैं, इसमें से कुछ जातियाँ फूलों के लिए औषधीय या औषधीय गुणों के लिए उगाई जाती हैं।
कलंकोई एक खूबसूरत पौधा है जिसके पत्ते सुरेख, गाढ़ा होते हैं और उनकी छाल काली रंग की होती है। पुष्प अक्सर उज्ज्वल रंगों में होते हैं जैसे पीले, नारंगी, सुखे महिला, जितने धागे या लाल रंग के। इनके बीजग्रंथियों में अनेक पौधों का संग्रूपण होता है जो नवजीवन की क्षमता रखते हैं और पौधों को अनंत संख्या में उगाने की क्षमता प्रदान करते हैं। इसलिए, एक ही पौधे से भी कई पौधे निकल सकते हैं।
कलंकोई गंधकपुष्पी, एंटील्लीः, मेढकपट्टा, एच. बी. वीटी., भौंरा हेड और पुष्कलः आदि के नाम से भी पुकारी जाती है। कलंकोई के पत्ते औषधीय गुणों से एक भरपूर स्रोत हैं, जैसे की इनमें टैनिन, एंटीऑक्सिडेंट, एंटीमाइक्रोबियल और एंटीवायरल गुण होते हैं। काला कलंक (Kalanchoe) के रस का प्रयोग संक्रमण को रोकने और गुणवत्ता प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसके अलावा, इसे चोटी और जलने पर ठीक करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।
कलंकोई की खेती (Kalanchoe Cultivation)
कलंकोई पौधे की खेती का तरीका बहुत ही सरल है और आप इसे किसी भी ढांचे में अपने घर के छोटे से छोटे कोनों में उगा सकते हैं। यह पौधा सुंदरता और मधुर खुशबू रखता है और इसे आप अपनी हल्की-भारी बागवानी के हिस्से के रूप में भी उगा सकते हैं।
कलंकोई पौधे को सबसे पहले वाले तरीके से उगाना आसान होता है। इसके लिए आपको एक पौधे या पौधे का छोटा हिस्सा या बचा हुआ टुकड़ा प्राप्त करना होता है। यह एक पौधे को काटकर पौधे के तल में मिट्टी के साथ एकांत में रखकर तैयार किया जा सकता है।
पौधे का बीहड़ औऱ बचे हुए हिस्से को ध्यान से निकालकर छोटे गेंद की तरही आकार देना चाहिए। यह आपके पौधे को नया जीवन प्रारंभ करने में मदद करेगा।
अब अच्छी तरह से बरतें और ढांचें में मिट्टी डालें। यह खुदरा और अर्ध-शाखा में होनी चाहिए।
मिट्टी के मूल्य को अंतरित करें और इसके बाद, इसे पौधे और छोटे गेंद के साथ भरते हैं। मिट्टी का नहीं नहीं दवायारूप के आकार में होना चाहिए। फ़ैमी या होली ताल या फ़ारिश्ता पटी आदि को उच्च पॉमांगाल में अच्छे ढ़ंचों में मात्रा में नहीं रखें। जलवायु तुन्द करने और में पानी बनाने के लिए भी प्रयास न करें
चोटे गेंद और पौधे को सभी ढांचों में रखें। यह विकसित होने में लगभग दो सप्ताह लग सकते हैं। बिजली और दिनबद्ध क्षेत्र में पकड़ लें। पहले ही चरणों में, इन प्लांट्स की करपेंदी और देखभाल करें और उन्हें एक खुदरा और आकार वाले पौधों में बदलने का प्रयास करें।
यदि आप कलंकोई पौधे की खेती करना चाहते हैं, तो आपको सच में एक आसान और अद्भुत मौसम स्थल प्राप्त करना चाहिए। अपनी खुशी के साथ पौधे का पूसा करें और उसे जैपनीज़ एनीमशाल या मुद्रिका में ले जाएँ। आप इन्हें घास या जीव प्रणाली के साथ पुराने डिब्बों में लगा सकते हैं या इन्हें पैमेन्ट में लगा सकते हैं। यह एक और तरीका है जो आपको आपसी हिस्सेदारी का भी विकल्प देता है।
अब जब आपके पौधे की पारंपरिक परंपरा प्राप्त हो जाएगी, तो आपको अपने वर्णन, फालू विषयों, उद्देशानों और तथ्यों के बजाय आपके पौधे के अंतहीन अर्थव्यवस्था और चमत्कार जैसी बातों को उपयोग में लेना चाहिए। यह उत्कृष्ट नजरिया है जो आपको इस नए इंट्री में आने वाले इंडियन एकांत दिवस पर लाने की अवधारणा देंगे।
कलंकोई की खेती कहां होती है ( Where is Kalanchoe Farming done?)
कलंकोई वनस्पति है, जिसे आमतौर पर घरों में सजावटी पौधे के रूप में पाया जाता है। यह भारतीय मूल की एक प्रसिद्ध पौधा है और इसे पौधा और पत्तियों की खूबसूरती के लिए पसंद किया जाता है। कलंकोई में कई प्रकार की जातियाँ होती हैं, जैसे कि कालरकोई, ईतवर आदि।
कलंकोई उष्णकटिबंधीय पर्यावरण में अधिकतर प्रकारों के लिए उपयुक्त होती है। इसके लिए सबसे आदर्श मौसम सुरुचित प्रदान करने वाले जलवायु शामिल हैं। कलंकोई को घरों में सजावटी पौधे के रूप में रखने के लिए, सबसे अच्छा स्थान उत्तर दिशा में स्थापित पोषक दैर्घ्यिकप्रकीर्ण औषधीय प्रणाली वाली जगह होगा। इसे अंधेरे स्थानों के लिए सर्वोत्तम अंधकार अनुमति दी जानी चाहिए।
कलंकोई की खेती कुछ नदी किनारे के निकट या जोशिमाथल भूमि में की जा सकती है, जहां सूक्ष्म जल एवं कार्बन कण मौजूद हों। जलवायु के कारण इसके उत्पादन की गुणवत्ता पर असर पड़ सकता है। इसे अधिकतर शनिवार और रविवार के दिनों में बुआई जाती है, जब इसे मुख्य बाजारों की आपूर्ति के लिए उपयोग किया जाता है।
कलंकोई उत्पादन में मुख्य नले के रूप में एक पोषक तत्व लिया जाता है, क्योंकि यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर उत्पादन अधिक चर्चा मिलती है। यह खेती मध्य आय वैयवस्था के लिए एक कारोबारिक संभावना हो सकती है और भी उच्च गुणवत्ता की कलंकोई उत्पादक जातियों की शिविरों के लिए पसंदीदा नई छोटी उद्योग के रूप में उभर सकती है।
कलंकोई/Kalanchoe FAQs
Q1. कलंकोई पौधे को गर्मी में कैसे देखभाल करें?
A1. गर्मी में कलंकोई पौधे को प्रतिदिन समय-समय पर पानी देकर रखें तथा उन्हें धूप में रखें।
Q2. कलंकोई पौधे को कितना पानी देना चाहिए?
A2. कलंकोई पौधे को सुखने से पहले पोटिंग मिट्टी के ऊपरी भाग तक पानी से भर दें, और जब पोटिंग मिट्टी पूरी तरह सुख जाए, तब फिर से पानी दें।
Q3. कलंकोई पौधे को खाद कैसे दें?
A3. कलंकोई पौधे को हर महीने खाद देने के लिए जीवाश्म पाउडर या यूनिवर्सल खाद का उपयोग करें। खाद को पौधे के पास की मिट्टी के साथ मिश्रित करें और पौधे के आधार के पास संचित करें।
Q4. कलंकोई पौधे को किस समय खरीदना चाहिए?
A4. कलंकोई पौधे को सर्दियों के महीनों में खरीदना अच्छा होता है क्योंकि उन्हें ठंड की जरूरत होती है और ये पौधे सर्दियों में प्रमुखतः उपलब्ध होते हैं।
Q5. कलंकोई की पत्तियों पर सफेद छिद्र क्यों दिखाई देते हैं?
A5. सफेद छिद्र कलंकोई पौधे की पत्तीयों पर उभरने वाले छिद्रों को कहा जाता है और इसका कारण पोषण की कमी, पानी की कमी या फिर अतिरिक्त धूप हो सकती है।
Q6. कलंकोई पौधे में पेड़ होने के लिए क्या करें?
A6. कलंकोई को पौधे में पेड़ बनाने के लिए उसे नियमित रूप से छोटाकरना और उसे प्राथमिकता देना चाहिए। इससे पौधे का विकास बढ़ेगा और वह पेड़ की तरह दिखाई देगा।
Q7. कलंकोई पौधे की रोग प्रतिरोधक क्षमता कैसे बढ़ाएं?
A7. कलंकोई पौधे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए पौधे को स्वस्थ रखने के लिए समय-समय पर इंटरवल वार्म कच्ची गूदे का इस्तेमाल करें।
Q8. कलंकोई पौधे के पत्तों पर केसे रंग का पतला सरस्सा क्यों बहता है?
A8. पतला सरसा कलंकोई पौधे के पत्तों पर उभरने वाले एक प्रकार का कीट होता है जिसे थ्रिप्स कहा जाता है। इसके कारण पत्तों पर सरस्सा जैसे रंग का पतला रस बहता है।
Q9. कलंकोई पौधे को खादिर पूषण क्यों देना चाहिए?
A9. कलंकोई पौधे को खादिर पूषण इसलिए दिया जाता है क्योंकि खादिर पौधे को पोषण प्रदान करता है और इससे पौधे का विकास बेहतर ढंग से होता है।
Q10. कलंकोई पौधे को प्रदर्शनी में रखने के लिए तैयार कैसे करें?
A10. कलंकोई पौधे को प्रदर्शनी में रखने के लिए उन्हें धूप में रखें और सुसज्जित ढंग से उनकी छाया दें। इसके अलावा उनके पोटिंग मिट्टी को नम रखें और नियमित रूप से पानी देकर रखें।
Introducing Vidita Vaidya, an eminent Indian neuroscientist and esteemed professor at the Tata Institute of Fundamental Research, Mumbai. With a distinguished scientific career, she has made remarkable contributions to the fields of neuroscience and molecular psychiatry.
Vidita’s research endeavors revolve around studying the neurocircuitry of emotion, delving into the intricate workings of the human brain. Her dedication and outstanding achievements have not gone unnoticed, as she has been honored with prestigious awards such as the Shanti Swarup Bhatnagar Prize in 2015 and the National Bioscience Award for Career Development in 2012.
In addition to these accolades, Vidita Vaidya was also recognized with the Infosys Prize in Life Sciences in 2022, solidifying her position as a frontrunner in the realm of life sciences research.
During her academic journey, she had the privilege of being mentored by Professor Ronald Duman at Yale University while pursuing her doctorate. This valuable experience played a crucial role in shaping her expertise and passion for neuroscience.
As a professor, researcher, and distinguished scholar, Vidita Vaidya continues to inspire and impact the scientific community with her groundbreaking work. Through her relentless pursuit of knowledge and understanding of the brain’s complexities, she opens new avenues for unraveling the mysteries of human emotions and brain function.