आइस प्लांट पौधे की जानकारी: इतिहास, पहचान, प्रकार, महत्व, फायदे, खेती, नुकसान

By Vidita Vaidya

आइस प्लांट भारतीय प्राकृतिक वनस्पति जगत की एक आकर्षक फूलों की नई जाति है। यह फूल धरती की सौंदर्यता और विविधता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसका वैज्ञानिक नाम ‘मेसेम्ब्रान्थेमम फिशररीयम’ है और यह उद्भिद जड़ी बूटी के रूप में पाया जाता है। यह मुख्य रूप से अफ्रीका के पश्चिमी सहारा और एशिया के मध्य पूर्व में पाया जाता है।

इस फूल की पहचान करने में कोई मुश्किल नहीं होती है, क्योंकि इसके गुलाबी या लाल रंग के मोहक फूल पूरे दुनिया में पहचाने जाते हैं। इनकी खूबसूरतता का कारण है इनके फूलों का आकार और उनकी ऊचाई, जिसके कारण ये फूल बागवानों में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। प्राकृतिक आइस प्लांट के अलावा मानव द्वारा उगाए जाने वाले आइस प्लांट भी बड़ी आकृति के और आकर्षक होते हैं।

आइस प्लांट की सुंदरता के अलावा इसकी करीब 50 से अधिक प्रजातियाँ मेडिसिनल गुणों का संग्रह रखती हैं। इनके पत्तों, फूलों और बीजों में विटामिन और खनिजों की अद्भुत मात्रा पाई जाती है। इसके बीजों में गंभीर बीच गोले में आवृत्ती होती है, जिसे “आइस पिकल” कहा जाता है। इस औषधीय बीज सेहत की सुरक्षा और रिकवरी के लिए उपयोग में आते हैं। इसके फूलों को मूसलीपाक्षी और पक्षियों की attarction के लिए एकदिवसीय पौधे की तरह use किया जाता है।

आइस प्लांट एक पौधे का नजरिया बदल सकता है और मनोहारी फूलों की यादगार खुश्बू द्वारा मन को भर देता है। इसकी अनूठी सुंदरता, आकर्षक रंग और विटामिन और खनिजों से भरपूर गुणवत्ता इसे गार्डनिंग और औषधीय गुणों के लिए महत्वपूर्ण बनाती है। यह फूल भारतीय संस्कृति में भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं और इसे अन्य देशों में “जादुई फूल” भी कहा जाता है। इसकी खुशबू और रंगों की चमक को देखकर, आप इसे एक “आकर्षक अर्थशास्त्रीय पौधा” कह सकते हैं।

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आइस प्लांट क्या है? (What Is Ice Plant?)

आइस प्लांट एक प्रजनन पौधा है जिसकी वैज्ञानिक नाम है मेसेम्ब्रियंथेममम खुमवारियम. यह सांस्कृतिक रूप से वर्षों से पूजनीय परम्पराओं में उपयोग होता रहा है और यह भू मानवीय क्षेत्रों में आसानी से पैदा होने वाला पौधा है। इसमें बहुत सारे प्रकार के नंदन रंग के फूल पाए जाते हैं, जो कि पानी की धैंस और सप्ताहों के लोंबे इंतजार में अपनी ताजगी बनाए रखते हैं। यहां तक कि इसकी कलिताओं का रंग भी वीरगार्ध ऊँचे कमरे के कुछ लगभग सबसे ऊँचे भिन्न रंगों में विभाजित हो जाई, जैसे हरा, टिल्ली पीला, और गुलाबी दूधिया व तपेदी का निर्वचनीय रंगों में सजी हो जा सकें। इसके देखने में आकर्षक, बेस्टवूड्स के नाम से शानदार, श्रेष्ठ और चिकनी जैव प्रकियाओं से लीपी हुई दिखाई देती है।

आइस प्लांट की पेड़ की हमेशा की तरह उँची और फूल के एक दूसरे के चारों ओर की पेड़तरी शाखाएं सजी होती है, जिन्हें यथावत धरती के प्राकृत मंजर की कुछ ओर नियोजित किया जा सकता है, उनसे आनंद उठाने के लिए। इन भू मानवीय प्राकृत अनुभवों की वैष्णवअर्पण गान रागद्वारे समर्पित हो सकती हैं। इसका कार्य उपहार के
रूप में, संगीत यात्राओं में साझी रोमांचक दृश्य-रूप में, च्योंचलयोग्य प्रवासों के भाग के रूप में, और कविताओं, गेमों और खेलों में भी एक विशेषांश सात्विक है, जिसे आदिवासी संघ, जुग्गूदार समूहों और विकसित साम्राज्यों ने उपयोग किया है।

आइस प्लांट का पर्यावरण में एक महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि यह मृदा को बाधाओं से बचाने और भूमि की वर्षा-पानी संवार्धित करने में मदद करता है। यह एक अच्छा प्रदूषण रोकथामक और वृक्षों का अस्वस्थ अनुकरण कर सकता है। इसके अलावा, इसकी पत्तियाँ मनोहारी और पौष्टिक होती हैं, जो पशुओं और पक्षियों के लिए एक अच्छे क्षेत्र प्रदान करती हैं। इसे गर्म क्षेत्रों में सटीकतापूर्वक उगाना आसान होता है और यह पूर्णताक सुनली और धैंस धसकती शाखाएं प्रदान करता है, इसलिए इसका लाभ अधिक मात्र में हो सकता है। धार्मिक और तांत्रिक क्षेत्र में, आइस प्लांट एक मान्यता रखता है और प्रयोग किया जाता है विशेष उपायकेंद्रों, पूजा केंद्रों और आध्यात्मिक केन्द्रों में।

आइस प्लांट का इतिहास (History Of Ice Plant )

आइस प्लांट एक वनस्पति है जो जमीन पर आमतौर पर पायी जाती है। यह वनस्पति एक अद्वितीय इतिहास रखती है और इसे एक पौधा के रूप में अनदेखा नहीं किया जा सकता है।

आइस प्लांट का वैज्ञानिक नाम “मेसेंब्रयन्थमुम क्रिस्टलिनम” है। इसका पूरे रूप से इस्तेमाल विभिन्न उद्यानों और बगीचों में आजकल किया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस वनस्पति का एक पुराना और महत्वपूर्ण उपयोग था?

यह आइस प्लांट मूल रूप से दक्खिन अफ्रीका में पाई जाती थी, जहां लोग इसे खाद्य के रूप में इस्तेमाल करते थे। यहां इसकी बगीचा या खाद्यस्थल के रूप में उपयोग होता था। इसे विटामिनिक पूर्ण, मधुर, तरलता से भरपूर और थंडी देने वाला माना जाता था।

कई बरसों से, आइस प्लांट को वनस्पति के रूप में नहीं छोड़े जाने का कारण था, क्योंकि यह एक घास की तरह उगती है और दूसरे पौधों को पालने वाले व्यक्ति के लिए कष्टदायक बन सकती है। हालांकि, इसका यह इतिहास ऐसे बदल गया है, क्योंकि आइस प्लांट का महत्वपूर्ण उपयोग अब तक पहचाना गया है।

आजकल लोग आइस प्लांट को अपने इंद्रजालिक बगीचों में लगाना पसंद करते हैं। इसमें एक अच्छी बात यह है कि यह एक पौधा है जिसे आसानी से परिपक्व किया जा सकता है और जो मिटटी और पानी जैसी आवश्यकताओं के साथ अच्छी तरह से आदता हो जाता है।

अत्यंत रोग प्रतिरोधी और सुगम पौधा होने के कारण, आइस प्लांट को वाणिज्यिक रूप से खेती भी की जाती है। इसकी पत्तियों की रंगीनता और गहरी भूरी शक्ल के फूलों से लोग यह उद्यानों और बागों को सजाने के लिए इस्तेमाल करते हैं।

चूंकि आइस प्लांट को धूप का सामरिक रूप में इस्तेमाल भी किया जाता है, इसलिए इसे आजकल छतों पर भी लगाने की व्यापक बढ़ती मांग है। यह वनस्पति प्राकृतिक रूप से मौसम के प्रभावों को संतुलित करके पर्यावरण को भी सुधारती है।

इसके अतिरिक्त, आइस प्लांट नामक वनस्पति को मेडिकल उद्देश्यों के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। इसकी मदद से शुगर के मरीज आदि को अपने रोग का नियंत्रण करने में मदद मिल सकती है।

आईस प्लांट का इतिहास इसे एक महत्वपूर्ण और उपयोगी वनस्पति बनाता है। यह दिखाता है कि प्रकृति में बदलाव के माध्यम से इसे फिर से खोजा जा सकता है और इसका महत्व नई प्रयोगशीलता के साथ संबंधित हो सकता है।

आइस प्लांट की प्रकार (Types Of Ice Plant)

आइस प्लांट, जिन्हें हिंदी में ‘शीतल वनस्पति’ कहा जाता है, एक प्रकार का सुंदर फूल युक्त पौधा है। यह वनस्पति आमतौर पर वाटर और हेट रिटेनशन के लिए पौधे के उपयोग के लिए लोकप्रिय होते हैं। नीचे छठी कक्षा के छात्रों को समझने के लिए कुछ शीर्ष प्रसिद्ध प्रकार बताए गए हैं:

1. डेलोस्पेरमुम आईस प्लांट (Delosperma Ice Plant):
यह आइस प्लांट का एक प्रसिद्ध प्रकार है, जिसमें सुंदर पर्यावरणीय बगीचाओं और उपहारों के लिए बागवानी में उपयोग किया जाता है। इसके पत्ते आलवर्त सामरिक और क्षेत्रीय, सूखे और दमरु रेतीली भूमि में आमतौर पर बढ़ते हैं। यह पौधा जूलाई और अगस्त में अपार संख्या में सुंदर मल्लिकाओं को प्रदर्शित करता है।

2. आईस प्लांट एकलख (Ice Plant Aizoaceae):
एकलख आइस प्लांट, जिसे वनस्पतिकी संघ के तहत मान्यता प्राप्त है, एक सूखी और उबलती हुई जमीन और बिजली की कम उपलब्धता में आमतौर पर विकसित होता है। इसकी खाद्य और लोकप्रियता की वजह से यह उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में फूलता है। इसके सूखे खाद्य को उत्पादन में भी इस्तेमाल किया जाता है।

3. आईस प्लांट लाममुम (Ice Plant Lamium):
लाममुम आइस प्लांट, जो कठिन माटी और न्यूनतम संरचना वाली पर्यावरणों में अच्छी तरह से अनुकूलित होता है, विभिन्न पारिवारिक बागवानी के उद्देश्यों के लिए आमतौर पर बगीचाओं में पाया जाता है। यह पौधा आकर्षक, अर्द्धशिचर, यकृत जूते वाले पत्तों को प्रदर्शित करता है और मध्य भाग में पूष्पित होता है।

इन प्रमुख आईस प्लांट प्रकारों के बारे में यहां पर्याप्त जानकारी है, जो आपकी छठी कक्षा के छात्रों को समझने में मदद करेगी। ध्यान दें यदि आप और अधिक विवरण चाहते हैं, तो इन प्रकारों की खोज करना आपको विशेषज्ञों द्वारा लिखित ग्रंथों या इंटरनेट संसाधनों की ओर प्रेरित करेगा।

अन्य भाषाओं में आइस प्लांट के नाम (Ice Plant Names In Other Languages)

1. Hindi: आइस प्लांट (Ais Plaant)
2. Bengali: আইস প্ল্যান্ট (Ais Pleyant)
3. Telugu: ఐస్ ప్లాంట్ (Ais plaant)
4. Marathi: आयस प्लांट (Ayas Plaant)
5. Tamil: ஐஸ் பிளான்ட் (Ais Plaand)
6. Urdu: آئس پلانٹ (Ais Pleyant)
7. Gujarati: આઇસ પ્લાંટ (Ais Plaant)
8. Kannada: ಐಸ್ ಪ್ಲಾಂಟ್ (Ais Plaant)
9. Malayalam: ഐസ് പ്ലാന്റ് (Ais Plaanṟ)
10. Punjabi: ਆਈਸ ਪਲਾਂਟ (Aīs palāṇṭ)

आइस प्लांट के उपयोग (Uses Of Ice Plant)

आइस प्लांट जमीनी सदाबहार सुंदर फूलों वाला पौधा है। इसके पौधे में मुख्य रूप से तेजी से फूल बदलने की खासियत होती है। यह अपने चमकदार फूलों के लिए बड़ी प्रशंसा प्राप्त करता है। इसकी पृष्ठभूमि में हरी और छोटी नीली पत्तियाँ होती हैं जो इसे और भी आकर्षक बनाती हैं।

आइस प्लांट का उपयोग सजावटी पौधा के रूप में किया जाता है जो बगीचों, चमकदार पौधों के आसपास और मोटरमार्गों के आसपास खड़े होता है। इसकी चमकदार फूलों की वजह से इसे आकर्षकता बढ़ाने के लिए इज़्ज़त मिलती है। इसके पोषण योग्य मूल अकारकों (ें) और सुखाने की प्रणाली के कारण इसका देखभाल आसान होता है।

यहाँ दिए गए बिंदुबद्ध रूप में आइस प्लांट के उपयोग को विस्तार से समझाया जा सकता हैं:
– आइस प्लांट को आकर्षक बगीचों में डिजाइन और सजावट में उपयोग किया जाता है।
– इसे पौधे के चारों ओर या फ़ेंस आदि के रूप में लगाया जा सकता है जो उन्हें और भी आकर्षक बनाता है।
– आइस प्लांट को मोटरमार्गों के प्रदर्शन स्थलों के आसपास रखा जा सकता है ताकि परिसर में अद्यतित महसूस हो।
– इसे डेकोरेशन उद्देश्यों के लिए फूलदानों या अलग-अलग कॉनटेनर्स में रखा जा सकता है।
– यह फूलदानों, झूलों और बॉर्डर्स को सजाने के लिए भी उपयोगी होता है।
– इसे आकस्मिक उमसन होते समय सड़क और मोटरमार्ग में बगीचे की सुंदरता बढ़ाने के लिए उपयोग किया जा सकता है।
– इसकी फूलों को पुष्पमाला बनाने के लिए भी उपयोग किया जाता है जो घर की आकृति को बदल देती हैं।
– धार्मिक उद्देश्यों के लिए भी इसके फूलों का उपयोग किया जाता है।

इस प्रकार, आइस प्लांट बगीचों और वाटर सूर्स के आसपास की सजावट में उपयोगी है, जिसे इसकी चमकदार फूलों की वजह से खास मान्यता मिलती है।

आइस प्लांट के फायदे (Benefits Of Ice Plant)

आइस प्लांट प्राकृतिक रूप से उद्भव होने वाला एक पौधा है, जिसके कई लाभ एवं फायदे होते हैं। यहां कुछ मुख्य लाभ और फायदे दिए गए हैं:

1. ठंडक प्रदान करता है: आइस प्लांट पौधा ठंडक प्रदान करने की क्षमता रखता है और गर्मियों में जलन और उत्पादकता को कम करने में सहायता करता है।

2. वातावरण को शुद्ध करें: इस पौधे का प्रयोग वातावरण को शुद्ध करने में भी किया जा सकता है, क्योंकि यह कार्बन डाइऑक्साइड को आकाशीय खनिजों में बदलने की शक्ति रखता है।

3. रहोगरम जलवायु के लिए उपयुक्त: यह पौधा रहोगरम जलवायु में अच्छी प्रदर्शन करता है और इसे कार्बन डाइऑक्साइड, ऑक्सीजन, निट्रोजन, पोटेशियम, फास्फोरस और अन्य पोषक तत्वों के साथ युक्त पर्यावरण में पुनर्संचयित करने में मदद कर सकता है।

4. आंतरिक रक्षा प्रदान करें: इसके बीजों में यौगिक तत्वों की एक अच्छी मात्रा होती है, जो शरीर को आंतरिक रक्षा प्रदान करने में मदद करती है।

5. रंगीन और सुंदरता का स्रोत: इसके फूल अत्यंत सुंदर, आकर्षक और विविध रंगों में होते हैं। इसलिए इसे अक्सर उद्यानों और बगीचों में इंटरलॉकिंग या डीजाइन एलीमेंट्स के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

आइस प्लांट के नुकसान (Side effects Of Ice Plant)

आइस प्लांट, या जिसे हिंदी में बर्फीला पाड़पी, इंग्रजी में वेजेटेबल जेली (Vegetable Jelly) के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रकार की सुगंधित पत्तेदार नदीनिरा मकाई की तरह बढ़ने वाली वनस्पति होती है। यह जुलाई से सितंबर तक म्यूज़ीम में तापमान की गर्मी के दौरान सब्जी की खेती के लिए आम तौर पर उपयोग होती है। इसका उचित पौधे पर पानी की समुचित आपूर्ति, खाद का संयम और उचित तापमान की जरूरत होती है।

आइस प्लांट के साइड इफेक्ट:

1. आहारी समस्याएँ: अगर आपको जुकाम, छाती में जलन, खांसी या छींकते रहने की समस्या होती है, तो आपको आइस प्लांट में पाए जाने वाले एंजाइम पर ध्यान देना चाहिए। यह साइड इफेक्ट एरनियोंग्लोबुलिनेस (erynglobulins) के कारण हो सकता है।

2. एनर्जी संकट: इसका सीधा सेवन करने से बचें अगर आपको किसी फल, खरबूजा, तरबूज, ककड़ी, आलू, या ग्रेप्फ्रूट की एलर्जी होती है, तो यह आइस प्लांट में उपलब्ध विटामिन सी के कारण एलर्जी के लक्षण जैसे खराबी, मुँह में चोटीलापन और गले में सुजन हो सकती है।

3. भूखमरी और पेट की समस्याएँ: अगर आपको उच्च रक्तचाप, डायबिटीज, थायराइड प्रॉब्लम, या एलर्जी है, तो आपको आइस प्लांट के सेवन से परहेज़ करना चाहिए। इसके कारण आप कम भूख हो सकती है और पेट में अफारा भी हो सकता है।

4. शरीरिक तैसका: आइस प्लांट में बहुत अधिक विटामिन की मात्रा होती है, जिसके कारण शरीर में तैसका हो सकता है। तकलीफ और मतली जैसे लक्षण देखे जा सकते हैं। ऐसे मामलों में, डॉक्टर की सलाह लेना सर्वोत्तम होगा।

5. कूलांतरण लक्षण: इसे सूखे और शीतल अंचल के मौसम में तैयार किया जाता है, इसलिए इसका ज्यादा सेवन करने से आपको शरीर में ठंडा-हॉट जाने की तकलीफ हो सकती है।

आपको ध्यान देना चाहिए कि इन साइड इफेक्ट्स को सभी लोगों में नहीं देखा जाता है और इसे सीमित मात्रा में सेवन करने से मर्यादित किया जा सकता है। फिर भी, यदि आपको किसी भी लक्षण या समस्या का सामना होता है, तो अपने चिकित्सक से सलाह लेना सर्वोत्तम होगा।

आइस प्लांट का पौधे की देखभाल कैसे करें (How To Take Care Of Ice Plant Plant)

आइस प्लांट या आइस पैरेल एक प्रकार की फूलों की पौधा है जिसके फूल धूपी और उमरकैंद होते हैं। यह एक अद्भुत सुंदर पौधा है जिसे आप अपने बागवान में उगा सकते हैं। इस पौधे को सही ढंग से देखभाल करने के लिए आपको निम्नलिखित टिप्स का पालन करना चाहिए:

1. उगाने का स्थान: आइस प्लांट को धूप में उगाने के लिए धूपी स्थान की आवश्यकता होती है क्योंकि इसे धूपी जगहों पर ही अच्छी तरह रंग-बिरंगे फूल देने की क्षमता होती है। आप इसे अपने बाग के शीतलता प्रदान करने वाले हिस्से में रख सकते हैं।

2. जल पर्याप्तता: आइस प्लांट को अच्छी तरह से सिंचन की जरूरत होती है। आपको इसे नियमित रूप से सिंचित करना चाहिए, लेकिन जरा भी ज्यादा पानी की व्यवस्था न करें क्योंकि अधिक पानी इसकी जड़ों को सुरक्षित नहीं रख सकता है। इसे अपनी मिट्टी को कुछ घंटों के लिए सूखने दे और फिर इसे पानी करें।

3. उपयुक्त मिट्टी: इस पौधे को जलने की संभावना ना होने देने वाली मिट्टी में उगाना चाहिए। आपको एक अच्छी दराज की मिट्टी का चयन करना चाहिए जो पानी को अच्छी तरह निकाल सके और जड़ों को स्थिर रख सके।

4. खाद देना: आपको इस प्लांट को नियमित रूप से खाद देनी चाहिए ताकि वह स्वस्थ और फूलों से भरी रहे। कम से कम प्रति महीने एक बार उर्वरित कम्पोस्ट या नगरी कीट नाशक उपयोग करें।

5. रोगों और कीटों का नियंत्रण: आइस प्लांट रोगों और कीटों के प्रति संवेदनशील हो सकता है, इसलिए आपको नियमित रूप से पौधों का परीक्षण करना चाहिए। इफेन, अल्बेडो और नीम जैसे प्राकृतिक कीटनाशकों का उपयोग करके इनमें से छूटकारा पाया जा सकता है।

इस तरह से, आप आइस प्लांट को सही ढंग से देखभाल कर सकते हैं। यह एक आसान और प्यारी पौधा है जिसे आप अपने बाग में लगाकर अपने मनोहारी फूलों का आनंद उठा सकते हैं।

आइस प्लांट के पौधे का सांस्कृतिक उपयोग (Cultural Uses Of The Ice Plant)

आइस प्लांट में अजगरों की आंखों परों के आकार की प्रगतिशीलता के कारण, ये एक प्रकार का पौधा है जो जलप्रपातों, तालाबों और रास्तों के चाहरे पर बढ़ता है। इसके तने में बच्चों, कांटों में छोटी छोटी पत्तियाँ होती हैं और सब्जियों में अनेक तार जैसे तने उठते हैं। ये शीतल जल प्रदायक और जल के बाहरी वापर को रोकने के लिए एक अच्छी विकल्प हो सकता है। इसे बगीचों, गटर, आतिशबाज़ी और चारों ओर इस्तेमाल किया जा सकता है।

आइस प्लांट का पौधा कहां पाया जाता है (Where Is The Ice Plant Plant Found)

आइस प्लांट दक्षिण अफ्रीका की प्रशांत महासागर तटों पर पाया जाता है। यह एक विशेष प्रकार का संवर्धनीय गहन झाड़ीदार पौधा है जो ठंडी जलवायु में अपने शीतकारी गुणों के लिए मशहूर है। इसके पत्ते मोटे होते हैं और उनकी कोशिकाएं एक विशेष प्रकार के पैटर्न में सुखाने की सामर्थ्य रखती हैं। यह ध्यानदेने योग्य है कि इसकी पत्तियों पर बारिश के पानी के संकेतों को देखकर यह पौधा अपनी कोशिकाओं में पानी भर लेता है और इसे शीतलता के रूप में संग्रहीत करके लंबे समय तक उबाल के रूप में बनाए रखता है।

आइस प्लांट की कीमती गहन झाड़ी कांच की तरह प्रकाशित होती है, इसलिए इसे कांच की जगह उपयोग किया जाता है। इसके पत्तों में एक कच्चा तेल घुला हुआ होता है जो आग को मिटा देता है और इसलिए यह आगबन्दी के लिए भी उपयोगी होता है। इसे डेसर्ट गार्डन के रूप में बगीचों में बोने के लिए भी प्रयोग किया जाता है क्योंकि इसके अत्यधिक शीतलता संयंत्र ग्रीष्मकालीन धूप के कारक तापमान के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करती है। इस प्रकार, आइस प्लांट एक रोमांचक पौधा है जो अपने विशेष गुणों के लिए प्रमुखतः दक्षिण अफ्रीका में खा जाता है।

आइस प्लांट की प्रमुख उत्पादन राज्य (Major Producing State Of Ice Plant)

आइस प्लांट एक महत्वपूर्ण सब्जी है जिसे भारत में व्यापक रूप से उगाया जाता है। यह एक सुगंधित पौधा है जिसके पत्तों पर छिपकलियों के समान बूंदें होती हैं। यह खाद्य पदार्थों तथा पशुओं के चारे के रूप में उपयोग होती है।

भारत में आइस प्लांट की मुख्य उत्पादन राज्य हैं – राजस्थान, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, मिज़ोरम और उत्तर प्रदेश। इन राज्यों में आइस प्लांट की खेती खासकर आर्थिक और जलवायु उपयुक्तता के कारण अधिक होती है।

राजस्थान आइस प्लांट की अग्रणी उत्पादक राज्य है, जहां इसे व्यापक रूप से उगाया जाता है। यहां के सूखे और थंडी जलवायु वातावरण ने इसे पूरी दुनिया में प्रमुखता प्राप्त कराया है। राजस्थान की आइस प्लांट के अच्छी उपज का कारण है क्षेत्र में मिलने वाली विशेष मिट्टी और सम्पूर्ण सालाना हवा में तापमान व्याप्ति।

देशों की बात करें तो भारत विश्व में आइस प्लांट की अग्रणी उत्पादक देशों में से एक है। अन्य महत्वपूर्ण उत्पादनकारी देशों में चीन, चिली, वेनेजुएला, इन्दोनेशिया, रूस, मैक्सिको, केन्या, वियतनाम, थाईलैंड और न्यूजीलैंड शामिल हैं।

आइस प्लांट सब्जी मूल्यवान, पोषक तत्वों से भरपूर और बीमारियों से सुरक्षित होती है। इसकी खेती महान आर्थिक लाभ प्रदान करती है और किसानों को व्यापारिक मायने में भी फायदा पहुंचाती है।

आइस प्लांट के पौधे के चिकित्सा गुण (Medical Properties Of Ice Plant)

आइस प्लांट एक रेषा जैसा पौधा है जो जलीय क्षेत्रों में पाया जाता है। इसके पत्ते मोटे और मजबूत होते हैं और पीले रंग के होते हैं। यह एक लोकप्रिय औषधीय पौधा है जिसे रोगों के उपचार में प्रयोग किया जाता है। यहां हम कुछ आइस प्लांट के चिकित्सीय उपयोगों के बारे में सरल भाषा में लिख रहे हैं:

1. जलीय संक्रमणों का इलाज: आइस प्लांट प्राकृतिक एन्टीबायोटिक होता है और कई जलीय संक्रमणों को ठीक करने में मदद करता है। इसे खांसी, सरदर्द और गले में खराश की समस्याओं के लिए भी उपयोग किया जा सकता है।

2. दांत की समस्याओं का समाधान: आइस प्लांट के पत्तों को चबाने से मसूड़े संक्रमण, दांतों के दर्द और मसूड़ों की सूजन में आराम मिलता है। इसका उपयोग दांतों की सफाई और मसूड़ों की सुरक्षा के लिए भी किया जा सकता है।

3. त्वचा के लिए फायदेमंद: आइस प्लांट में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और एंटीइंफ्लेमेटरी गुणों के कारण, इसका उपयोग त्वचा समस्याओं जैसे दाग, चेहरे की जलन और चहरे की रूखाई के लिए भी किया जा सकता है। इसे त्वचा पर लगा कर रात भर छोड़ने से त्वचा की नरमी बढ़ती है और चमक आती है।

4. पाचन और वजन कम करने में सहायक: आइस प्लांट में पाया जाने वाला एक विशेष प्रोटीन पाचन को सुधारता है और पेट की समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। यह भी वजन कम करने में मदद करता है क्योंकि यह कम बाज़ारी और अधिक पोषक तत्वों को समाहित करता है।

5. रक्तचाप को कंट्रोल करने में सहायक: आइस प्लांट में पाए जाने वाले पोटैशियम तथा पोषक तत्व ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करते हैं, जिससे यह हृदय स्वास्थ्य को सुधारता है। यह तेजी से दिल की गतिविधि को नियंत्रित करता है और हृदय संबंधी बीमारियों को कम करने में मदद करता है।

यहां सरल भाषा में आइस प्लांट के कुछ चिकित्सीय उपयोगों को परिचय दिया गया है, जो लोगों को इस पौधे की महत्वपूर्णता और उपयोगिता के बारे में जानकारी प्रदान करता है।

आइस प्लांट का वैज्ञानिक नाम (Scientific Name Of Ice Plant)

आइस प्लांट जो कि वनस्पति के रूप में जानी जाती है, उसका वैज्ञानिक नाम ‘मेसेम्ब्रियंथमम क्रिस्टालीनम’ (Mesembryanthemum crystallinum) है। इस पौधे को अक्सर शाखा विकास में आनेवाली शल्य-प्रवृत्ति के कारण जाने वाला भाप कोईला भी कहा जाता है। इसकी मुख्य विशेषता यह है कि इसके पत्तों पर आइसक्रीम जैसी सफेद पतली ज़र्द की स्त्रोतियों की पत्तीयां होती हैं, जिन्हें वर्षा के दौरान पानी के ज़रिए संग्रहित किया जा सकता है। इसलिए इसे आइस प्लांट के नाम से भी जाना जाता है।

यह पौधा मुख्य रूप से उन स्थानों पर पाया जाता है जहां पानी की कमी होती है, जैसे वयोमजलप्रहरी भूखण्डों या बल्कि बेहद सूखे और तटीय क्षेत्रों में। इसकी मदद से यह पौधा पानी की संग्रहण करता है और इसे बारिश के समय इस्तेमाल कर सकता है। इसे सूखे के कठोर मार्गों को बढ़ावा देने के लिए भी प्रयोग किया जाता है।

इतने सारे उपयोग और इसकी शानदार दिखावटी पत्तियों के कारण, आइस प्लांट एक पसंदीदा पौधा भी बन चुका है। इसका वैज्ञानिक नाम समझना आसान है और इसकी सरलता के कारण इसे बगीचों में और घरों में प्राकृतिक रूप से बड़े ही आसानी से पाया जा सकता है।

आइस प्लांट की खेती (Ice Plant Cultivation)

आइस प्लांट एक वनस्पति है जो पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाती है और इसकी उगाई की जा रही प्रवृत्ति में दिनों की गिनती हो रही है। इस कारण, इसे आइस प्लांट के रूप में जाना जाता है। इसकी खेती पश्चिम बंगाल, असम और पश्चिमी घाटी पहाड़ियों में प्रमुखतः की जाती है।

आइस प्लांट की खेती को आमतौर पर बीजों से की जाती है। इसे खेती के लिए सम्मानित स्थलों पर उगाया जाता है। इसके लिए सबसे पहले, एक उपयुक्त मात्रा में बकरी की खाद या बकरी की वेस्ट में पोटेशियम और फॉस्फरस के मिश्रण को मिलाया जाता है। इसके बाद हल्की मिट्टी में इसे बोया जाता है।

इसे धीमी गति से बोए जाता है इसलिए इसकी बीजों को हल्के हाथों से उगाया जाता है। इसके बाद, खेत में मंजूसी के रूप में इसे प्राप्त गर्मी में किसान ताड़ के डाल देता है। इस के उपायुक्तता के रूप में निम्नलिखित चीजें शामिल होती हैं:

1. पूर्व पानी देना: खेत में आइस प्लांट के बीजों को बोने के तुरंत बाद, पानी की व्यवस्था करनी चाहिए। पानी की मात्रा खेत के उच्चतम मात्राओं की आवश्यकता के अनुसार निर्धारित की जानी चाहिए।

2. सिंचाई का व्यवस्थापन: बर्साती मौसम में, सिंचाई की व्यवस्था करनी चाहिए। सुनिश्चित करें कि रोपित आइस प्लांट को निरंतर नमी मिलती रहे, ताकि इसकी वृद्धि अच्छी हो सके।

3. खाद का प्रबंधन: संभावितता से पहले, खेत में बकरी की खाद को दिया जाता है ताकि भूमि पोषक तत्वों से भरी रहे।

4. पीड़कों और बीमारियों का नियंत्रण: इसे पीछें रखने के लिए पेड़ों, पौधों और मिटटी को निरंतर परीक्षण किया जाना चाहिए। यदि किसी भौगोलिक पीड़क या बीमारी का पता चलता है, तो सामरिक प्रबंधन के लिए उचित कदम उठाए जाने चाहिए।

5. फसल काटनी: जब आइस प्लांट की फसल पूरी तरह से पक जाती है, तब उसे काट लेना चाहिए। इसका सही समय कई माउंटनस क्षेत्रों में दिसंबर या जनवरी माह होता है।

इन सरल उपायों का पालन करके और धैर्य रखकर, किसान आइस प्लांट की व्यवस्थित उगाई के माध्यम से अच्छी मात्रा में मुनाफा कमा सकता है। यह उत्पादन में वृद्धि के प्रोत्साहन के साथ साथ पर्यावरण को भी संरक्षित रखता है।

आइस प्लांट की खेती कहां होती है (Where is Ice Plant Farming done?)

आइस प्लांट फार्मिंग दुनिया भर में कई जगहों पर की जा सकती है। इस फार्मिंग को विशेष रूप से उन क्षेत्रों में किया जाता है जहां तापमान गर्म या मध्यम होता है और खेती के लिए पानी की निकासी कम होती है। आइस प्लांट कई प्रकार की होती है, लेकिन सबसे अधिक कार्यकारी विधि आसाम, जिप्सीलैंड, सांबिया, मैक्रोहेलियम और डाईर पंजीकृत द्वारा की जाती है।

आइस प्लांट की खेती के लिए अधिकतर खेतों की मिट्टी में अच्छी द्रावणीयता होनी चाहिए। यह फिशर्मा तकनीक की द्वितीय के मुताबिक की जाने वाली खेती है और गर्मी में ज्यादातर पानी के उपयोग की जाती है, इसलिए इसके लिए पानी की उपयोगिता और उपलब्धता पर ध्यान देना आवश्यक है। इसकी खेती विशेष रूप से मसालों, फल और सब्जियों के लिए की जाती है।

इसकी खेती के लिए किसी भी खेत की मिट्टी में अच्छे रूप से खाद दी जानी चाहिए, क्योंकि इस पौधे की विशेष खुराक और पानी संपूर्णतः ज्वलंत आशायां होती हैं। आइस प्लांट खेती इतनी प्रभावी होती है कि इसमें पानी की खपत अन्य फ्रोपिक फसलों की तुलना में कम होती है। यह तात्कालिक और माध्यमिक वर्षा क्षेत्रों में एक अवधिक उत्पादक फसल है, जो क्षेत्रीक भूस्खलन कम करने में मददगार साबित होती है।

आइस प्लांट/Ice Plant FAQs

Q1: आइस प्लांट क्या होती है?
A1: आइस प्लांट एक पौधा होता है जो शीतल अंधकारी स्थलों में विकसित होता है। यह मुख्य रूप से पश्चिमी उद्दीपनीय देशों में पाया जाता है।

Q2: आइस प्लांट की खेती कैसे की जाती है?
A2: आइस प्लांट की खेती करने के लिए किसानों को पहले बीज या पौधे की व्यवस्था करनी होगी। यह फार्म में या खेत में उगाई जा सकती है और बाद में उत्पाद का संचय किया जा सकता है।

Q3: आइस प्लांट का आहार क्या होता है?
A3: आइस प्लांट खुदरा पौधा होती है और इसके पत्तों में जैसिचिए का तत्व पाया जाता है जिसे आमतौर पर बिंदु प्रदर्शन करने के लिए प्रयोग किया जाता है।

Q4: आइस प्लांट के क्या स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं?
A4: आइस प्लांट में विटामिन सी, ए और बी6 के साथ-साथ फोलिक एसिड, आयरन, कैल्शियम, और मैग्नीशियम होता है, जो शरीर के लिए बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। इसका सेवन आंतरिक स्वास्थ्य, त्वचा स्वास्थ्य, वजन नियंत्रण और मधुमेह प्रबंधन में मदद कर सकता है।

Q5: आइस प्लांट का चयन किस प्रकार किया जाना चाहिए?
A5: आइस प्लांट के चयन में सुनिश्चित करें कि पत्तियों का रंग हरा और ताजगी बरकरार है। उन्हें कुंडली भूमि में जमाने के लिए पंखे और सेदने में बंद किया जा सकता है।

Q6: आइस प्लांट की देखभाल का तरीका क्या होता है?
A6: आइस प्लांट को समीरनीय और अंधकारी स्थानों में रखा जाना चाहिए। इसको रोजाना सिर्फ थोड़ा पानी देकर पोषण किया जा सकता है। सड़ने से बचने के लिए इसे पानी देना बंद कर दें।

Q7: क्या आइस प्लांट को सूखा पानी से पौधे कर सकते हैं?
A7: हां, आप आइस प्लांट को सूखा पानी से पौधे कर सकते हैं। इसे एक नीले प्लास्टिक कप में एक टेस्पून सूखा पानी में डुबोएं और ढाक दें। 24 घंटे बाद, इसे मिट्टी में उगाएं।

Q8: आइस प्लांट की जल्दबाजी से उगाई जाने वाली औषधात्मक गुणवत्ता को कम कर सकता है?
A8: हां, जल्दबाजी से आइस प्लांट उगाई जाने वाली औषधात्मक गुणवत्ता को कम कर सकता है। अगर कसरत के दौरान आप बीज लगाएं तो पौधों की उगाई आराम में होगी और संरक्षण बेहतर होगा।

Q9: आइस प्लांट के फूल कैसे होते हैं?
A9: आइस प्लांट के फूल पतले और अपूर्णतायुक्त होते हैं। इनमें अक्टूबर से फरवरी के बीच के महीनों में ब्लू, पिंक या पुरपुरी रंग होता है।

Q10: आइस प्लांट का मशहूर व्यापार है?
A10: यहां अब तक आइस प्लांट का व्यापार मुफ्त है। हालांकि, उत्पाद की मांग के साथ, इसे कई देशों में निजी उद्यमियों द्वारा व्यापारिक रूप से उगाया जा रहा है।

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