Plantago

ईसबगोल का पौधे की जानकारी: इतिहास, पहचान, प्रकार, खेती, फायदे

By Meenakshi Banerjee

आपके स्वास्थ्य के लिए एक अद्भुत सहायक, ईसबगोल का पौधा है जिसे हिंदी में ‘इसबगोल’ भी कहा जाता है। यह पौधा अपनी औषधीय गुणधर्मों के लिए प्रसिद्ध है और सही से उपयोग करने पर यह हमारे शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकता है। इस पौधे के उपयोग से आपकी पाचन सुधार सकती है और विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं को नियंत्रित कर सकती है।

इस लेख में, हम ईसबगोल के पौधे के गुणधर्मों, उपयोग की विधियों और इसके औषधीय लाभों पर विस्तार से चर्चा करेंगे। यह जानकारी आपको सरल भाषा में प्रस्तुत की जाएगी ताकि आप इसे आसानी से समझ सकें। इसके साथ ही, हमारे पास “बांका का पौधा” पर एक और लेख भी है, जिसमें आप अन्य औषधीय पौधों के बारे में भी जान सकते हैं।

ईसबगोल क्या है 

ईसबगोल, जिसे विज्ञानिक भाषा में ‘Plantago ovata’ कहा जाता है, एक वनस्पति है जो पुराने समय से आयुर्वेद और उपचारिक उद्देश्यों के लिए प्रयुक्त हो रही है। इसका पौधा छोटा होता है और इसके पत्ते लम्बे और तंग होते हैं। यह विशेषकर भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाता है और इसके बीजों का उपयोग औषधि के रूप में होता है।

ईसबगोल का प्रमुख विशेषता उसके बीजों में होती है, जिन्हें हुल्ला भी कहा जाता है। ये हुल्ले पानी में डालने पर फूल जाते हैं और गैंबा बना देते हैं, जिसमें बहुत सारे ऊतक होते हैं। यह ऊतक एक मुकवा की तरह कार्य करते हैं और अधिकतम पानी अवशोषित करने में मदद करते हैं।

ईसबगोल के बीजों को विभिन्न चिकित्सा उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता है, जैसे कि पेट संरचना को सुधारना, कब्ज से राहत प्रदान करना और चोलेस्टेरॉल को नियंत्रित करना। यह एक सुरक्षित और प्राकृतिक उपचार रूपी संसाधन है जो हमें स्वस्थ जीवनशैली की दिशा में मदद कर सकता है।

ईसबगोल की इतिहास 

ईसबगोल, जिसे वैज्ञानिक भाषा में ‘Plantago ovata’ कहा जाता है, एक प्राचीन और औषधीय पौधा है जो भारतीय जड़ी-बूटी चिकित्सा तथा आयुर्वेद में विशेष महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसका इतिहास हजारों वर्षों से पुराना है और इसे प्राचीन साहित्यों में भी उल्लेख किया गया है।

ईसबगोल का पौधा भूमि के नीचे अपनी जड़ों को फैलाता है और ऊपर की ओर लम्बे, पतले पत्तियों के साथ ऊँचा होता है। इसके फूल छोटे, सफेद रंग के होते हैं और बीज उनके बाद बनते हैं, जिन्हें हुल्ला कहा जाता है।

आयुर्वेद में ईसबगोल को ‘इस्बंद’ कहा गया है और इसे पाचन और मल शोधन के लिए प्रशंसा मिली है। इसे पेट संबंधित रोगों के इलाज के लिए एक अद्भुत उपाय माना जाता है। ईसबगोल के उपयोग से लाभ होने के कारण इसका उपयोग लोगों द्वारा बड़े पैम्बर में किया जा रहा है और यह एक सुरक्षित और प्राकृतिक उपाय है जो स्वस्थ जीवनशैली की दिशा में सामर्थ्यपूर्वक मदद कर सकता है।

ईसबगोल की पहचान

ईसबगोल को वैज्ञानिक भाषा में “Plantago ovata” कहा जाता है और यह एक छोटा पौधा है जो बाग़-बगिचे, खेतों, और रेगिस्तानी क्षेत्रों में मिलता है। इसकी पहचान के लिए ध्यानपूर्वक देखें, इसमें लम्बी, पतली पत्तियां होती हैं जो एक-दूसरे के करीब सीधे होती हैं। इसके फूल छोटे और सफेद होते हैं, जो कि एक छोटे से डंडे पर लगे होते हैं।

यह पौधा ज्यादातर उत्तर भारत, पश्चिमी बंगाल, और पश्चिमी घाटों क्षेत्रों में पाया जाता है और इसे भारतीय जड़ी-बूटी चिकित्सा में महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके बीजों को हुल्ला कहा जाता है और इसका उपयोग पेट संबंधित समस्याओं की समस्याओं के लिए किया जाता है। ईसबगोल एक औषधीय पौधा है जिसका बहुत अधिक उपयोग किया जाता है, विशेषकर अपच, कब्ज, और पेट की सफाई के लिए।

ईसबगोल के प्रजातियाँ 

ईसबगोल की मुख्य प्रजातियाँ विश्वभर में पाई जाती हैं, लेकिन कुछ मुख्य प्रजातियाँ हैं जो विशेष रूप से उपयोग के लिए जानी जाती हैं। इसमें से कुछ प्रमुख प्रजातियाँ निम्नलिखित हैं:

1. Plantago ovata (भूचर ईसबगोल): यह सबसे आम प्रजाति है और उसके बीजों का उपयोग आमतौर पर उपचारिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है।

2. Plantago psyllium (साइलियम ईसबगोल): इस प्रजाति के बीजों का उपयोग भी उपचारिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है और इसे औषधीय रूप से प्रचलित किया जाता है।

3. Plantago lanceolata (लैंसिओलेटा ईसबगोल): इस प्रजाति को भी कई स्थानों पर जड़ी-बूटी चिकित्सा में उपयोग के लिए जाना जाता है।

4. Plantago major (मेजर ईसबगोल): इस प्रजाति को भी भूचर ईसबगोल के नाम से जाना जाता है और इसका उपयोग आमतौर पर शल्यचिकित्सा और चिकित्सा में किया जाता है।

5. Plantago asiatica (एशियाटिका ईसबगोल): यह प्रजाति विभिन्न एशियाई देशों में पाई जाती है और उसके बीजों का उपयोग भोजन में भी किया जा सकता है।

6. Plantago media (मीडिया ईसबगोल): इस प्रजाति के बीजों का उपयोग पुरानी और खारिक बीमारियों के इलाज में किया जाता है, और यह आमतौर पर यूरोप में पाई जाती है।

7. Plantago rugelii (रुगेली ईसबगोल): यह भी एक प्रमुख प्रजाति है और इसे पशुपालन और चिकित्सा में उपयोग के लिए जाना जाता है।

इनमें से प्रमुख प्रजातियों के अलावा भी कई छोटी प्रजातियाँ होती हैं जो विभिन्न क्षेत्रों में पाई जाती हैं।

ईसबगोल का पौधा कैसा होता है 

ईसबगोल, जिसे अंग्रेजी में ‘Psyllium’ कहा जाता है, एक छोटा पौधा है जो उच्ची और सुखी जड़ों के साथ उगता है। इसकी पत्तियाँ सुरुंगा की तरह लंबी होती हैं और इसके फूल सफेद या हरा हो सकते हैं। इस पौधे के बीज छोटे, गहरे भूरे रंग के होते हैं और उनका उपयोग औषधीय गुणों के लिए किया जाता है।

ईसबगोल का पौधा आमतौर पर राजस्थान, गुजरात, एवं मध्य प्रदेश जैसे सूखे इलाकों में पाया जाता है। यह सूखे और गरम मौसम को पसंद करता है और इसकी खेती विभिन्न भागों में की जाती है।

ईसबगोल का पौधा एक सुरक्षित और आसानी से पहचाने जाने वाले पौधे का उदाहरण है, जो जड़ों और पत्तियों के साथ अपना विशेष चिन्ह प्रदर्शित करता है। इसके बीजों का समृद्धिशील भूमि में बोना जाता है और यह तेजी से बढ़ता है, तैयार होता है और उपयोग हेतु तैयार हो जाता

ईसबगोल पौधे का फायदा 

ईसबगोल पौधा, जिसे आमतौर से ‘इसबगोल’ कहा जाता है, एक औषधीय पौधा है जिसके उपयोग से कई स्वास्थ्य सम्बंधित फायदे हो सकते हैं। इसके बीजों में अच्छी मात्रा में फाइबर होती है, जो पाचन को सुधारकर कई पेट संबंधित समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकती है। इसका उपयोग कब्ज, गैस, और अन्य पाचन संबंधित समस्याओं के इलाज में होता है।

ईसबगोल की बूटी अपने विशेष गुणों के लिए प्रसिद्ध है, और इसे दवाईयों में भी शामिल किया जाता है। इसकी बूटी को पानी में भिगोकर सेवन करने से उपयोगकर्ता को ताजगी और सकारात्मक दिन की शुरुआत मिलती है। इसका बार-बार सेवन करने से पेट साफ रहता है और सामान्य स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद मिलती है।

ईसबगोल का उपयोग डॉक्टर की सलाह पर ही करें और सुरक्षित मात्रा में उपभोग करें, ताकि इससे किसी भी साइड इफेक्ट से बचा जा सके।

ईसबगोल पौधे का नुकसान

ईसबगोल पौधा स्वास्थ्य के लाभों के साथ-साथ अगर सही मात्रा और तरीके से नहीं इस्तेमाल किया जाए, तो नुकसान भी पहुंचा सकता है। यहां ईसबगोल के उपयोग के नुकसान कुछ हैं:

  • पेट में गैस और तेजाबियत: अधिक मात्रा में ईसबगोल सेवन करने से पेट में तेजाबियत और गैस की समस्या हो सकती है।
  • अपच और जलन: कुछ लोगों को ईसबगोल से अपच और जलन की समस्या हो सकती है, खासकर जिन्हें पेट से संबंधित समस्याएं हैं।
  • अलर्जी और उत्तेजना: कुछ लोगों को ईसबगोल के प्रति अलर्जी हो सकती है, जिससे त्वचा में खुजली, लालिमा और उत्तेजना हो सकता है।
  • निरंतर सेवन से हैमरॉयड्स: अगर ईसबगोल को बिना डॉक्टर की सलाह के निरंतर सेवन किया जाता है, तो यह हैमरॉयड्स या बवासीर की समस्या को बढ़ा सकता है।
  • असामान्य बौद्धिक दिक्कतें: अधिक मात्रा में ईसबगोल सेवन से बौद्धिक दिक्कतें आ सकती हैं, जैसे कि चक्कर आना, उत्तेजना, और अवर धारा में बहुतारा मेहसूस होना।

इसलिए, ईसबगोल का सही रूप से उपयोग करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना बहुत महत्वपूर्ण है। सही मात्रा और तरीके से इस्तेमाल करने पर ही इसके लाभों को हासिल किया जा सकता है और नुकसान से बचा जा सकता है।

इसबगोल खाने का सही तरीका

इसबगोल को सही तरीके से खाना बहुत महत्वपूर्ण है ताकि इसके लाभ पूरे हों और नुकसान से बचा जा सके। यहां इसबगोल को खाने का सही तरीका है:

  • सही मात्रा: इसबगोल को खाते समय उचित मात्रा का ध्यान रखें। डॉक्टर की सलाह के अनुसार यहां तय की गई मात्रा का पालन करें।
  • पानी के साथ: इसबगोल को खाने के बाद उचित मात्रा में पानी पिएं। यह इसके सही प्रभाव के लिए महत्वपूर्ण है।
  • अच्छे तरीके से मिलाएं: इसबगोल को पानी, दही, या जूस के साथ अच्छे से मिलाकर खाएं।
  • नियमितता: इसे नियमित रूप से खाएं, यह सबसे अधिक लाभकारी होगा।
  • डॉक्टर की सलाह: यदि आप किसी बीमारी के लिए इसे खा रहे हैं, तो सबसे पहले डॉक्टर से सलाह लें।

इस तरह से सही मात्रा, तरीके, और नियमितता के साथ इसबगोल को खाना बहुत महत्वपूर्ण है ताकि यह आपके स्वास्थ्य को सही तरीके से समर्थन कर सके।

इसबगोल भूसी के नुकसान

  • पेट की समस्याएं: अधिक मात्रा में इसबगोल भूसी का सेवन करने से पेट में तकलीफ हो सकती है, जैसे कि दर्द, गैस, और तेजाब।
  • उच्च रक्तचाप: यदि कोई व्यक्ति उच्च रक्तचाप का शिकार है, तो इसे डॉक्टर की सलाह के बिना नहीं लेना चाहिए, क्योंकि यह रक्तचाप और दर्द में वृद्धि कर सकता है।
  • अलर्जी रिएक्शन: कुछ लोग इसबगोल के प्रति अलर्जी रख सकते हैं, जो त्वचा में खुजली, चकताई, या दुर्बलता का कारण बन सकता है।
  • गुड़ा समस्याएं: अगर कोई व्यक्ति गुड़ा से जुड़ी समस्याएं जैसे कि बवासीर या गुड़ा की खुजली से पीड़ित है, तो इसे बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लेना चाहिए।
  • ओवरडोज: अधिक मात्रा में इसबगोल भूसी का सेवन करना आपके शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है, जो डाइड्रेशन, ओवरडोज के लक्षणों में शामिल हो सकता है।
  • डाइजेस्टिव सिस्टम की समस्याएं: कुछ लोगों को इसबगोल भूसी के सेवन से पेट की समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि गैस, तेजाब, या पेट दर्द।

इसलिए, इसबगोल भूसी का सही तरीके से सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना हमेशा उचित होता है, खासकर जब किसी व्यक्ति को किसी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या हो।

इसबगोल के फायदे लिवर के लिए

  • बचाव में सहायक: इसबगोल में मौजूद फाइबर और शोधक गुण लिवर को साफ और स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं, जिससे अनेक लिवर समस्याएं प्रबंधित हो सकती हैं।
  • ताजगी और स्वस्थता के लिए: इसबगोल में पोटैशियम, मैग्नीशियम, और विटामिन B का सही संघटन है, जिससे लिवर को उच्च ऊर्जा स्तर और स्वस्थ ताजगी प्रदान हो सकता है।
  • शरीर से विषैले पदार्थों का निकाल: इसबगोल की उच्च फाइबर की मौजूदगी से, शरीर में जमा हुए विषैले पदार्थों को निकालने में भी मदद मिल सकती है, जिससे लिवर को साफ़ रखने में सहायक हो सकती है।
  • लिवर की स्वच्छता: इसबगोल का नियमित सेवन करने से पाचन सिस्टम स्वस्थ रहता है और इसके रूप में लिवर को भी लाभ मिल सकता है, क्योंकि साफ पाचन से लिवर को अधिक आराम मिलता है।
  • कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करना: इसबगोल की तेजाबी गुणधरा मदद कर सकता है लिवर को कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में, जिससे लिवर की स्वस्थता बनी रह सकती है।

ध्यान दें कि यदि कोई व्यक्ति लिवर संबंधित समस्याओं से पीड़ित है, तो उन्हें इसे लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

इसबगोल का वैज्ञानिक वर्गीकरण

वैज्ञानिक नामPlantago ovata
फैमिलीPlantaginaceae
ज़नसPlantago
प्रजातियाँएक प्रजाति – Plantago ovata
पौध का उच्चतम ऊचाईआमतौर पर १ फुट (३० सेंटीमीटर)
पत्तियों का आकारलंबे, बीच में बड़ा पत्ता
फूल का रंगसफेद, हरा, या भूरा
बीज का रंगभूरा या काला
बीजों की संख्याबहुत सारे
पौध के उपयोगऔषधीय और खाद्य सामग्री

यह सामग्री विश्व भर में बहुत सी स्थितियों में पाई जाती है और इसे विभिन्न रूपों में आयुर्वेदिक चिकित्सा और उपयोगों के लिए प्रशंसा प्राप्त है।

ईसबगोल का वैज्ञानिक नाम

ईसबगोल का वैज्ञानिक नाम “Plantago ovata” है। इस पौधे के बीजों का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में उच्च फाइबर सामग्री के रूप में होता है। यह एक बहुवर्षीय पौधा है और उच्च पोषण से भरपूर है। इसमें फाइबर, पोटैशियम, मैग्नीशियम, और अन्य पोषक तत्व होते हैं, जो सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं। ईसबगोल का वैज्ञानिक नाम इस पौधे की जड़ीबूटी विशेषज्ञता को दर्शाता है और इसे विभिन्न आयुर्वेदिक औषधियों में इस्तेमाल किया जाता है।

ईसबगोल की भूसी ठंडी होती है या गर्म

ईसबगोल की भूसी ठंडी होती है और इसे सुमधुर स्वाद व गंध के साथ जाना जाता है। यह प्राकृतिक रूप से बनी होती है और शरीर के ऊर्जा स्तर को बनाए रखने में मदद कर सकती है। इसका सेवन करने से पेट साफ होता है और पाचन सिस्टम को भी लाभ होता है।

यह बारिश के मौसम में भी पिए जा सकती है, क्योंकि इसमें प्राकृतिक तौर से ठंडाई होती है और शरीर को शीतलित करने में मदद करती है। ईसबगोल की भूसी में ऊर्जा होती है और इसे सेहत के लाभ के लिए सही तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है।

इसका सेवन बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी के लिए सुरक्षित है और इसे नियमित रूप से शामिल करने से आप अपने शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रख सकते हैं।

दूध और ईसबगोल के फायदे

दूध और ईसबगोल, दोनों ही सेहत के लिए बहुत लाभकारी हैं।

पोषण संतुलन: दूध में अच्छी मात्रा में प्रोटीन, कैल्शियम, और विटामिन D होता है, जो हड्डियों, दाँतों, और मांसपेशियों के लिए फायदेमंद है। इसके साथ ही, ईसबगोल फाइबर से भरपूर होता है जो पाचन को सुधारने में मदद करता है।

कब्ज का उपचार: ईसबगोल का सेवन कब्ज और पेट साफ़ी की समस्याओं को कम करने में मदद कर सकता है, जबकि दूध का प्रयोग आपके पाचन को सुधार सकता है।

ऊर्जा का स्त्रोत: दूध में मौजूद प्रोटीन और आमिनो एसिड्स शारीरिक ऊर्जा को बढ़ा सकते हैं, जबकि ईसबगोल ऊर्जा की वृद्धि में सहायक हो सकता है।

हृदय स्वास्थ्य: दूध की कैल्शियम और ईसबगोल की फाइबर हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकती हैं, जिससे रक्तचाप को नियंत्रित किया जा सकता है।

इन दोनों को सही मात्रा में और सही तरीके से लेना आपकी सेहत को बनाए रखने में मदद कर सकता है। हालांकि, किसी भी आहार परिवर्तन से पहले अपने चिकित्सक से सलाह लेना हमेशा अच्छा होता है।

इसबगोल और मिश्री के फायदे

  • पाचन में सुधार: इसबगोल में फाइबर होती है जो पाचन को सुधारने में मदद करती है, जबकि मिश्री पेट की सफाई करती है और अपच से राहत दिलाती है।
  • कब्ज का इलाज: इसबगोल और मिश्री का संयोजन कब्ज की समस्या में लाभकारी है, यह ठंडा प्रदान करता है और आंतों को शीतल करने में मदद करता है।
  • वजन नियंत्रण: इसबगोल और मिश्री का सेवन वजन को नियंत्रित करने में सहायक हो सकता है, क्योंकि इसमें फाइबर से भरपूर होता है जो भूख को कम कर सकता है।
  • डायबिटीज कंट्रोल: यह मिश्री का सेवन डायबिटीज को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है, क्योंकि मिश्री का मधुर स्वाद है और इससे खाद्य सुगर का संभाल बना रहता है।
  • हृदय स्वास्थ्य: इसबगोल में मौजूद फाइबर हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करती है जबकि मिश्री अच्छी कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित कर सकती है।
  • मस्तिष्क स्वास्थ्य: इसबगोल का सेवन मस्तिष्क के लिए भी फायदेमंद है, क्योंकि यह मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद कर सकता है।
  • आंतिरिक शुद्धि: इसबगोल और मिश्री सारी आंतिरिक मल शुद्धि करके शरीर को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं।

ध्यान रहे कि इनका सही समय और मात्रा में सेवन करना महत्वपूर्ण है, और हमेशा डॉक्टर की सलाह लेना उचित है।

ईसबगोल पौधे का प्रमुख उत्पादन राज्य 

ईसबगोल का प्रमुख उत्पादन राज्य भारत में राजस्थान है। राजस्थान विशेषकर जोधपुर, नागौर, बीकानेर, जयपुर, आदि जगहों पर ईसबगोल की खेती होती है। यहां का जलवायु और मिट्टी ईसबगोल के पौधे के उत्पादन के लिए अनुकूल होते हैं। राजस्थान के कुछ क्षेत्रों में इसे “सनमा” भी कहा जाता है और यहां की अच्छी मिट्टी और धूप इसकी बढ़ती हुई मांग का कारण हैं। राजस्थान के कुछ क्षेत्रों में इसकी खेती स्थायी और सुरक्षित रोजगार का स्रोत भी बन चुकी है।

निष्कर्ष

ईसबगोल का पौधा एक बहुत उपयुक्त पौधा है जिसमें कई स्वास्थ्यलाभ छिपे होते हैं। इसकी खेती से हम अपने आहार में गुणकारी आणविक तत्व मिलते हैं और यह हमें पेट संबंधी समस्याओं से राहत पहुंचाता है। इसकी अच्छी देखभाल और उपयोग में हम इससे अधिकतम लाभ उठा सकते हैं।

इस पौधे का सही ढंग से प्रबंधन करने से हम स्वस्थ रह सकते हैं और विभिन्न बीमारियों से बचाव कर सकते हैं। इसके बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे ब्लॉग पर “150 फूलों के नाम” नामक एक और रोचक आर्टिकल पर जाएं। यह आपको और भी पौधों और फूलों के बारे में बताएगा जो आपके घर को सजाने और स्वस्थ रहने में मदद कर सकते हैं। इसी तरह से, इस एक छोटे से पौधे की कहानी हमें हमारे प्राकृतिक संसाधनों का महत्व और उपयोगिता सिखाती है।

FAQ’s

ईसबगोल की बुवाई कौन से महीने में करनी चाहिए?

ईसबगोल की बुवाई सामान्यत: अक्टूबर से मार्च के बीच की जा सकती है।

ईसबगोल की सबसे अच्छी किस्म कौन सी है?

ईसबगोल की सबसे अच्छी किस्म “सेवला ईसबगोल” है, जो बहुत गुणकारी होती है।

बवासीर में ईसबगोल कैसे खाना चाहिए?

बवासीर में, ईसबगोल को रोजाना एक गिलास पानी के साथ सेवन करना फायदेमंद है।

इसबगोल कितने दिन में उगता है?

ईसबगोल का पौधा आमतौर पर 10-15 दिनों में उग जाता है।

इसबगोल का दूसरा नाम क्या है?

इसबगोल को बाजार में इसबगोल, इस्पागुला, और प्सिलियम हस्क के नाम से भी जाना जाता है।

3 दिन में बवासीर कैसे ठीक करें?

3 दिन में बवासीर को ठीक करने के लिए डॉक्टर की सलाह लें और उपायों का पालन करें।

बवासीर को जड़ से खत्म कैसे करें?

बवासीर को जड़ से खत्म करने के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं और उचित इलाज करवाएं।

क्या बवासीर 100% ठीक हो सकती है?

बवासीर का पूरी तरह से ठीक होना मुश्किल हो सकता है, लेकिन उचित उपचार और जीवनशैली में परिवर्तन से सुधार संभव है।

ईसबगोल की तासीर क्या है?

ईसबगोल शीतल होती है, इससे आपके पाचन तंत्र को सहारा मिलता है और ताजगी बनी रहती है।

इसबगोल को हिंदी में क्या कहते हैं?

हिंदी में इसबगोल को “इस्पागुला” भी कहा जाता है।

क्या ईसबगोल को रोज लेना हानिकारक है?

जी हां, अगर आप इसे सही रूप से और डॉक्टर की सलाह से लें, तो ईसबगोल रोज लिया जा सकता है।

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